ग्रेटर नोएडा स्थित पी-4 सीनियर सिटीजन सोसाइटी में रविवार देर रात एक ही परिवार के छह सदस्य लिफ्ट में फंस गए। करीब 45 मिनट तक लिफ्ट में बंद रहने के बाद परिजनों ने डायल-112 पर कॉल कर मदद मांगी। सूचना मिलते ही बीटा-2 थाना क्षेत्र की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और रॉड की मदद से लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।
मेरठ निवासी मुकेश कुमार अपने परिवार के साथ वृंदावन दर्शन के बाद अपने बेटे के फ्लैट पर रुके थे। देर रात मेरठ लौटते समय जब परिवार के छह सदस्य—including महिलाएं और बच्चे—दूसरी मंजिल से नीचे जाने के लिए लिफ्ट में सवार हुए, तभी लिफ्ट बीच में ही फंस गई। समय करीब 3:26 बजे का था।
लिफ्ट में लगे इमरजेंसी बटन को दबाने के बावजूद कोई सहायता नहीं मिली। परेशान होकर परिवार ने शोर मचाया और फोन के जरिये संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। अंत में डायल-112 पर कॉल कर घटना की जानकारी दी गई।
मात्र 10 मिनट में पहुंची पीआरवी-2554 पर तैनात उपनिरीक्षक सूरजपाल, आरक्षी राजकुमार और चालक होमगार्ड जयप्रकाश भाटी की टीम ने पहले दरवाजा खोलने का प्रयास किया। जब यह संभव नहीं हो सका, तो रॉड की मदद से दरवाजा तोड़ा गया और सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। भीषण गर्मी के कारण सभी यात्री पसीने से तरबतर थे।
पुलिस टीम को मिला इनाम, होगी जांच
डीसीपी ट्रैफिक व डायल-112 प्रभारी लखन यादव के अनुसार, लिफ्ट में फंसे लोगों ने कई नंबरों पर कॉल किया लेकिन मदद नहीं मिली। अंततः 112 पर कॉल कर रेस्क्यू कराया गया। तत्परता दिखाने वाली पुलिस टीम को पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह द्वारा ₹25,000 का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है। मामले की जांच की बात भी अधिकारियों ने कही है।
सोसाइटी प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप
घटना के बाद सोसाइटी प्रबंधन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठे हैं। निवासियों का आरोप है कि मेंटेनेंस चार्ज लेने के बावजूद सुरक्षा और सुविधाओं की भारी कमी है। फंसे लोगों की आवाजें सुनने के बावजूद कोई मदद के लिए नहीं आया। इस दौरान सोसाइटी के ग्राउंड फ्लोर पर कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। लोगों का कहना है कि यदि थोड़ी और देर हो जाती, तो गंभीर परिणाम हो सकते थे। उल्लेखनीय है कि इस सोसाइटी में पूर्व में भी कई विवादित घटनाएं सामने आ चुकी हैं।