पाकिस्तान की एक और कोशिश दुनिया के सामने बेनकाब हो गई है। खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक प्रभावशाली दिखाने की उसकी रणनीति एक बार फिर फेल साबित हुई है। बुधवार को पाकिस्तान की ओर से यह प्रचार किया गया कि सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका में आयोजित होने वाली 250वीं विक्ट्री डे परेड में आमंत्रित किया गया है।
हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जनरल मुनीर को इस परेड में शामिल होने के लिए कोई आधिकारिक निमंत्रण नहीं दिया गया है। उनकी अमेरिका यात्रा केवल उनके समकक्ष अधिकारियों से मुलाकात के लिए निर्धारित है और इसका विक्ट्री डे परेड से कोई लेना-देना नहीं है।
दावा बनाम सच्चाई: पाकिस्तान की किरकिरी
पाकिस्तानी मीडिया और अधिकारियों ने इस दौरे को विक्ट्री डे परेड से जोड़कर एक बड़ा कूटनीतिक अवसर बताने की कोशिश की, लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद यह साफ हो गया कि यह भी एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा था। हालांकि भारत इस यात्रा पर कड़ी निगाह रखे हुए है, क्योंकि यह ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में गंभीर तनाव देखा गया है।
पाक को अमेरिका की आतंकवाद विरोधी लड़ाई में बताया सहयोगी
इस बीच, अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका की सराहना की है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान इस लड़ाई में अब भी सक्रिय भागीदार है और आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में उसका योगदान उल्लेखनीय है।” उन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर ISIS-K के खिलाफ पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की कार्रवाई की प्रशंसा की।
भारत-पाक तनाव और ट्रंप का दखल
बीते 7 मई को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाए जाने के बाद भारत-पाक तनाव चरम पर पहुंच गया था। यह कार्रवाई उस हमले की जवाबी कार्रवाई थी जिसमें पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारतीय सेना ने सीमापार आतंकियों के शिविरों को ध्वस्त कर करीब 100 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया।
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों का भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। चार दिन तक चला यह तनाव तब थमा जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप कर दोनों देशों के बीच संघर्षविराम की घोषणा की। बाद में उन्होंने सार्वजनिक मंचों से इसका श्रेय भी लिया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।