पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने राजधानी लखनऊ में पुलिस अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए जाने को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि नियुक्ति पत्र देना विभागीय प्रक्रिया होती है, लेकिन सरकार इसे प्रचार का जरिया बनाकर प्रदेशभर के अभ्यर्थियों को रोडवेज बसों से लखनऊ बुला रही है, जिससे सरकारी खजाने से सैकड़ों करोड़ रुपये व्यर्थ खर्च किए जा रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य, जो अब ‘लोक मोर्चा’ नामक संगठन के माध्यम से जनहित रथ यात्रा पर हैं, रविवार को हरदोई में मीडिया से बातचीत के दौरान बोले कि अखिलेश यादव की सरकार को पहले ‘गुंडाराज’ कहा जाता था, लेकिन वर्तमान में योगी सरकार ने भी उससे आगे निकलते हुए प्रदेश को उसी राह पर धकेल दिया है। उन्होंने दोनों सरकारों की तुलना करते हुए कहा कि एक समय समाजवादी पार्टी जिस ‘गुंडाराज’ की प्रतीक मानी जाती थी, आज भाजपा की सरकार भी उसी पहचान को मजबूत कर रही है।
उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा और कहा कि वे पीडीए (PDA) के मायने तक तय नहीं कर पा रहे हैं—कभी इसे पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक बताते हैं, तो कभी पंडित, अगड़ा, आधी आबादी। जब नेता खुद भ्रमित हों, तो वे कार्यकर्ताओं को क्या दिशा देंगे?
राज्य की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए मौर्य ने कहा कि प्रदेश आज ‘जंगलराज’ में तब्दील हो गया है। विद्यालय बंद हो रहे हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के युवाओं की हत्याएं हो रही हैं, जबकि सरकार उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने में लगी है। वहीं पुलिस प्रशासन नव नियुक्त अभ्यर्थियों को ढोने में व्यस्त है। उन्होंने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और जनविरोधी बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ‘कट्टर हिंदुत्व’ की राजनीति करती है, जबकि समाजवादी पार्टी ‘मुलायम हिंदुत्व’ की बात करती है। लेकिन असली संघर्ष बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, और निशुल्क शिक्षा जैसी जन समस्याओं से है। मौर्य के अनुसार, इन मुद्दों पर प्रदेश की जनता ने दोनों को फेल करार दे दिया है।