नई दिल्ली: देश में अगली जनगणना 2027 में आयोजित की जाएगी, जिसमें पहली बार जाति आधारित गणना भी शामिल होगी। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
सरकार की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि जनगणना की अधिसूचना सोमवार को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। यह देश की 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद आठवीं बार की जाने वाली जनगणना होगी।
इस बार डिजिटल तकनीक का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा और लोगों को मोबाइल एप के माध्यम से स्वयं अपनी जानकारी दर्ज करने का विकल्प भी मिलेगा। साथ ही डेटा सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध किए जाएंगे।
जनगणना दो चरणों में पूरी होगी:
- पहला चरण होगा हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO), जिसमें हर घर की स्थिति, सुविधाओं और संपत्तियों की जानकारी एकत्रित की जाएगी।
- दूसरा चरण जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE) का होगा, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ी जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारियां दर्ज की जाएंगी।
2027 की जनगणना क्यों है विशेष?
- पहली बार जाति आधारित आंकड़े इस जनगणना में शामिल होंगे।
- करीब 34 लाख गणनाकार, पर्यवेक्षक और 1.3 लाख जनगणना अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
- लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में जनगणना की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि से होगी।
- शेष पूरे देश में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि से शुरू होगी।
- आधुनिक तकनीक के जरिये डेटा संग्रहण के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग होगा।
- लोग स्वयं ऑनलाइन जानकारी भर सकेंगे, जिसे सेल्फ-एनेमरेशन कहा जाएगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में जनगणना स्थगित कर दी गई, इसलिए इस बार 16 साल बाद जनगणना आयोजित की जा रही है।