बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। इस मुद्दे पर एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने चुनाव आयोग से प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकार होने के बावजूद, इस समय SIR कराना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि राज्य में बारिश और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, साथ ही 2025 का विधानसभा चुनाव भी नजदीक है।
SIR प्रक्रिया को लेकर उठाए गंभीर सवाल
ईमान ने कहा कि पहले भी SIR हुआ है लेकिन तब चुनाव में दो-तीन साल का अंतराल था, जिससे नागरिकों को अपनी आपत्ति या संशोधन का समय मिल गया था। उन्होंने तर्क दिया कि इस बार समय काफी कम है और राज्य की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। ऐसे में डिजिटल प्रक्रिया आम जनता के लिए कठिनाई पैदा करेगी।
जनता को मतदान से वंचित करने का आरोप
AIMIM नेता ने चिंता जताई कि डिजिटल प्रक्रिया के कारण यदि लोग खुद को सूची में दर्ज नहीं करा पाए, तो क्या उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया जाएगा? उन्होंने पूछा कि सरकार ने अब तक इसके लिए क्या वैकल्पिक उपाय किए हैं? ईमान ने स्पष्ट किया कि उनकी मांग है कि फिलहाल प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए और विधानसभा चुनाव के बाद ही SIR कराया जाए।
RJD से गठबंधन को लेकर स्थिति अस्पष्ट
RJD से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने बताया कि RJD को पत्र भेजा गया है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास थर्ड फ्रंट का विकल्प पहले से है और उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी लेंगे।
नागरिकता और NRC पर जताई आशंका
ईमान ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को नागरिकता से जोड़ते हुए आशंका जताई कि यह एक छिपा हुआ प्रयास हो सकता है जिससे NRC जैसी प्रणाली लागू की जाए। उन्होंने कहा कि यदि BLO किसी को तीन बार घर पर नहीं पाए और R.O. उस पर संतुष्ट हो जाए कि व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, तो बाद में उसकी नागरिकता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो सकते हैं।