समंदर में बढ़ेगी भारत की ताकत, 17 युद्धपोत और 9 पनडुब्बियां होंगी शामिल

भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार बड़े कदम उठाने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय जल्द ही 17 नए युद्धपोतों और 9 पनडुब्बियों की परियोजनाओं को मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है। ये सभी योजनाएं फिलहाल विभिन्न स्वीकृति प्रक्रियाओं के अलग-अलग चरणों में हैं। देश में इस समय 61 नौसैनिक पोतों और पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है और आने वाले नए जहाज भी स्वदेशी शिपयार्ड्स में ही बनाए जाएंगे।

2.40 लाख करोड़ से अधिक के नौसैनिक प्रोजेक्ट प्रस्तावित

सूत्रों के मुताबिक, करीब 70,000 करोड़ रुपये की लागत से “प्रोजेक्ट 17 बी” के अंतर्गत सात अत्याधुनिक फ्रिगेट और दो बहुउद्देश्यीय पोतों के निर्माण का प्रस्ताव लाया जाएगा। वहीं “प्रोजेक्ट 75 इंडिया (I)” के अंतर्गत छह नई पीढ़ी की पनडुब्बियों के लिए भी 70,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जाने की योजना है। इसके साथ ही “प्रोजेक्ट 75 (एड-ऑन)” के तहत 36,000 करोड़ रुपये में तीन स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के निर्माण का खाका तैयार किया गया है।

इन परियोजनाओं के अतिरिक्त आठ अगली पीढ़ी के कार्वेट्स के निर्माण की भी योजना है, जिस पर अनुमानित लागत 36,000 करोड़ रुपये आएगी। सभी परियोजनाओं को मिलाकर कुल खर्च 2.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक बैठने का अनुमान है। ये सभी नई प्रणालीगत इकाइयाँ पुराने प्लेटफॉर्म्स की जगह लेंगी और नौसेना की तकनीकी और सामरिक क्षमता को नया बल देंगी।

चीन की बढ़ती समुद्री शक्ति का करारा जवाब

वर्तमान में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLA Navy) के पास लगभग 355 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाते हैं। इसके मुकाबले भारत के पास फिलहाल 130 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना अपनी पुरानी प्रणाली को आधुनिक बनाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने पर ध्यान दे रही है।

पुरानी पनडुब्बियां और डेस्ट्रॉयर्स बदलने की जरूरत

भले ही छह स्वदेशी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों को सेवा में शामिल किया गया हो, लेकिन अब भी नौसेना की पनडुब्बी शाखा में 12 पुरानी इकाइयाँ सक्रिय हैं, जिनकी कार्यक्षमता सीमित होती जा रही है। डेस्ट्रॉयर्स की स्थिति भी ऐसी ही है। दिल्ली क्लास विध्वंसक जहाजों को वर्ष 1997 में सेवा में लिया गया था और अब वे 25 वर्षों से अधिक पुराने हो चुके हैं। बड़ी मरम्मत से इन्हें कुछ वर्षों तक और चलाया जा सकता है, लेकिन समय रहते इन्हें बदलने की योजना आवश्यक है।

2035 तक 175 पोतों की नौसेना का लक्ष्य

भारतीय नौसेना ने वर्ष 2035 तक कुल 175 युद्धपोतों और पनडुब्बियों से सुसज्जित बेड़ा तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ये डेस्ट्रॉयर्स मल्टीरोल क्षमता वाले होते हैं, जो समुद्र की सतह, पनडुब्बियों और हवाई खतरों से एक साथ निपटने में सक्षम होते हैं। सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में भारतीय नौसेना वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में पहले से कहीं अधिक सक्षम बनकर उभरे।

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