एक साधारण सी प्रतीत होने वाली पुस्तक ‘शिजर-ए-तैय्यबा’ के पीछे एक गंभीर षड्यंत्र छिपा था। कथित मौलवी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने इस किताब को धर्म प्रचार के नाम पर प्रकाशित करवाया, लेकिन जांच में सामने आया कि इसका उद्देश्य युवाओं को कट्टर विचारधारा के प्रति प्रेरित कर लव जिहाद और गैरकानूनी धर्मांतरण को बढ़ावा देना था।
लखनऊ के विकास नगर स्थित एक होटल के कमरे में यह नेटवर्क 70 दिनों तक सक्रिय रहा। एटीएस की सतर्कता से इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो सका।
होटल में बना षड्यंत्र का अड्डा
16 अप्रैल 2025 को छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नसरीन, जिन्होंने होटल में नीतू नवीन रोहरा के नाम से कमरा बुक कराया था, शुरुआत में चार दिन के लिए कमरा नंबर 102 में रुके। इसके बाद वे कमरा नंबर 104 में शिफ्ट हो गए, जो करीब दो महीने तक उनका मुख्य ठिकाना रहा। होटल स्टाफ के अनुसार, दोनों एक विवाहित जोड़े की तरह रहते थे और बाहर की गतिविधियां सीमित थीं। हालांकि एटीएस की नजर में यह कमरा एक योजनाबद्ध साजिश का केंद्र था।
‘शिजर-ए-तैय्यबा’ के माध्यम से कट्टरता का प्रचार
जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा द्वारा प्रकाशित ‘शिजर-ए-तैय्यबा’ किताब का उद्देश्य युवाओं को वैचारिक रूप से प्रभावित करना था। इस पुस्तक के जरिये मुस्लिम युवकों को हिंदू युवतियों से संपर्क कर उनका धर्मांतरण कराने के लिए प्रेरित किया जाता था। विभिन्न जातियों की लड़कियों के लिए अलग-अलग रकम निर्धारित की गई थी—ब्राह्मण, क्षत्रिय या सिख युवतियों के लिए 15-16 लाख रुपये तक। विरोध करने वालों को फर्जी केस में फंसाने की धमकी दी जाती थी।
फर्जी ट्रस्ट और 100 करोड़ का लेन-देन
धर्मांतरण के साथ-साथ इस नेटवर्क ने आर्थिक अपराध भी किए। एटीएस को जानकारी मिली कि छांगुर और नसरीन के नाम से संचालित 14 बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ, जिसमें 14 करोड़ रुपये विदेशी स्रोतों से आए थे। इन खातों में फर्जी ट्रस्ट और कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी। कुछ लेन-देन वोस्ट्रो खातों के जरिए किए गए, जिसकी अभी गहन जांच जारी है।
नसरीन की असल पहचान और निजी संबंध
नसरीन, जिनका असली नाम नीतू नवीन रोहरा है, एक सिंधी हिंदू परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने न केवल खुद धर्म बदला, बल्कि अपने पति और बेटी का भी धर्मांतरण कराया। वह बलरामपुर में छांगुर बाबा के साथ रहती थी और रैकेट की अहम सदस्य थीं। दोनों होटल में पति-पत्नी के रूप में रुके थे, लेकिन उनका उद्देश्य समाज में वैमनस्य फैलाना था।
विदेश यात्राएं और शानो-शौकत
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस गिरोह के सदस्य अब तक 40 से अधिक बार इस्लामिक देशों की यात्रा कर चुके हैं। बलरामपुर में विदेशी फंडिंग के जरिए आलीशान बंगला, महंगी गाड़ियां और शोरूम खरीदे गए। इस नेटवर्क में कथित पत्रकार, स्थानीय प्रभावशाली लोग और अन्य सहयोगी भी शामिल थे।
जांच तेज, कई अभी भी फरार
छांगुर बाबा और नसरीन की गिरफ्तारी लखनऊ से हुई है। अब तक चार लोग पकड़े जा चुके हैं, जबकि कई संदिग्धों की तलाश जारी है। इस रैकेट में अवैध धर्मांतरण, अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं। दोनों मुख्य आरोपियों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।