निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा बरकरार, समझौते से मिल सकती है राहत

केरल की रहने वाली और पेशे से नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यमन के जेल अधिकारियों ने निमिषा को सूचित किया है कि उसे 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। हालांकि, उनके परिजनों का कहना है कि उन्हें अब तक इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

निमिषा के पति टॉमी थॉमस ने पीटीआई से बातचीत में बताया, “हमें सिर्फ खबरों के माध्यम से यह जानकारी मिली है, सरकार या किसी अधिकृत स्रोत से कोई पुष्टि नहीं की गई है।”

जेल प्रशासन को फांसी का आदेश मिलने का दावा

एक सामाजिक कार्यकर्ता, जो यमन में इस मामले से जुड़े अधिकारियों और पीड़ित परिवार के संपर्क में हैं, ने दावा किया है कि अभियोजन पक्ष की ओर से जेल को आधिकारिक आदेश भेजा गया है, जिसमें 16 जुलाई को फांसी निर्धारित की गई है।

वहीं, निमिषा का परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उनके पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और बेटी को छात्रावास में रखना पड़ा है। परिवार पर करीब 60 लाख रुपये का कर्ज है, जो 2015 में यमन में एक क्लिनिक शुरू करने के लिए लिया गया था, जिसे 2017 में बंद करना पड़ा।

सरकार नजर रखे हुए है: सूत्र

सूत्रों के मुताबिक, निमिषा को 2018 में हत्या का दोषी ठहराया गया था और स्थानीय अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। भारत सरकार तब से इस मामले पर लगातार नजर रखे हुए है और संबंधित यमनी अधिकारियों व परिवार के संपर्क में है। हर संभव राजनयिक मदद दी जा रही है।

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा 2011 में यमन गई थीं, जहां उन्होंने कई अस्पतालों में नर्स के रूप में कार्य किया। बेहतर जीवन की आशा में उन्होंने खुद का क्लिनिक खोलने का निर्णय लिया और 2014 में तलाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक के संपर्क में आईं। तलाल ने क्लिनिक खोलने में मदद का आश्वासन दिया, जिसके बाद दोनों ने 2015 में साझेदारी में क्लिनिक शुरू किया।

विवाद और हत्या की घटना

समय के साथ दोनों के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ता गया। निमिषा ने आरोप लगाया कि महदी उनके साथ दुर्व्यवहार करता था और उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया था ताकि वह यमन न छोड़ सकें। 2016 में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद महदी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में वह जेल से छूट गया।

बताया गया कि 2017 में पासपोर्ट वापस पाने के प्रयास में निमिषा ने एक जेल वार्डन की मदद से महदी को बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्शन दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।

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