पूर्णिया जिले में पांच लोगों की निर्मम हत्या और शवों को जलाए जाने के मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। इस दिल दहला देने वाली वारदात के मुख्य आरोपी नकुल उरांव का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह गांव के आठ वर्षीय बालक सुमित कुमार पर झाड़-फूंक करते हुए दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो घटना के चार दिन पहले का है और अब इसके वायरल होने के बाद पूरा मामला और गहराता नजर आ रहा है।
बीमार बच्चे पर तांत्रिक क्रिया, जान चली गई मासूम की
वीडियो में नकुल अपने घर में रामदेव उरांव के बेटे सुमित पर तंत्र-मंत्र का प्रयोग करते हुए नजर आ रहा है। जानकारी के अनुसार, सुमित खेत से लौटते वक्त बेहोश हो गया था। उसे अस्पताल ले जाने की बजाय नकुल के पास ले जाया गया, जहां रातभर झाड़-फूंक की गई, लेकिन बालक की मौत हो गई। इसके बाद नकुल ने गांव में यह अफवाह फैला दी कि बच्चे की बलि बाबूलाल उरांव और उसकी मां कातो मसोमात ने दी है। इसी बहाने उसने गांववालों को उकसाकर रविवार रात बाबूलाल के पूरे परिवार पर हमला करवा दिया।
डायन बताकर की गई हत्याएं, शवों को जलाया गया
पुलिस जांच में सामने आया है कि नकुल ने खुद को तांत्रिक के रूप में स्थापित कर गांव में अपना प्रभाव कायम कर लिया था। सुमित की मौत को बहाना बनाकर उसने बाबूलाल की मां और पत्नी को डायन करार दिया और गांव के लोगों को भड़काकर सुनियोजित तरीके से हमला करवाया, जिसमें पांच लोगों की जान ले ली गई। हत्याओं के बाद शवों को जला दिया गया ताकि सबूत मिटाए जा सकें।
मजदूर से तांत्रिक बनने तक का खौफनाक सफर
स्थानीय लोगों के अनुसार, नकुल पहले मजदूरी करता था और फिर टेटगामा गांव में एक चाय की दुकान खोली। समय के साथ यह दुकान होटल में बदल गई और इसी दौरान उसका संपर्क मिट्टी माफिया और ट्रैक्टर चालकों से हुआ। धीरे-धीरे वह अवैध मिट्टी खनन और जमीन के सौदों में सक्रिय हो गया। आर्थिक और सामाजिक ताकत बढ़ने के साथ उसने खुद को तांत्रिक के रूप में प्रचारित करना शुरू किया और लोगों को अंधविश्वास के जाल में फंसा लिया।
मुख्य आरोपी गिरफ्तार, तीन को भेजा गया जेल
घटना के बाद नकुल उरांव, छोटू उरांव और ट्रैक्टर चालक मोहम्मद सनाउल्ला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अब वायरल वीडियो से यह बात और स्पष्ट हो गई है कि हत्याएं तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के आधार पर की गई थीं। यह घटना पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख देने वाली है और यह सवाल भी खड़ा करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास के नाम पर इतनी बड़ी हिंसा कैसे बेधड़क हो सकती है।