नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश उस याचिका के संदर्भ में आया है जिसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फिल्म पर रोक लगाने की मांग की थी। बुधवार को हुई सुनवाई में सेंसर बोर्ड की ओर से अदालत को सूचित किया गया कि फिल्म के विवादित अंश हटा दिए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फिल्म की स्क्रीनिंग दिखाने का निर्देश जारी किया।
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या पर आधारित है। घटना के पीछे एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट को समर्थन देने का हवाला दिया गया था। इस हत्या ने देशभर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया था, जिसके चलते कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित करनी पड़ी थीं।
फिल्म पर समुदाय विशेष को बदनाम करने का आरोप
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म का ट्रेलर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों से भरा हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने दलील दी कि फिल्म समाज में धार्मिक वैमनस्य फैला सकती है और एक विशेष समुदाय को लक्षित करती है।
मौलाना अरशद मदनी के नेतृत्व वाली जमीयत ने फिल्म को नफरत फैलाने वाली और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली बताया है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म में देवबंद और वहां के धार्मिक नेताओं को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कही गई हैं, जिससे समुदाय की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
सेंसर बोर्ड से मिला प्रमाणपत्र, 11 जुलाई को रिलीज की तैयारी
फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणन मिल चुका है और इसका प्रदर्शन 11 जुलाई को प्रस्तावित है। याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं।
मौलाना मदनी ने इस मामले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग से जोड़ते हुए कहा कि फिल्म का इस्लाम, मुसलमानों या देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है, और इसे समाज को गुमराह करने के इरादे से बनाया गया है।