गुरुवार सुबह देश के तीन प्रमुख राज्यों—दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा—में तेज़ भूकंप के झटकों से लोग घबरा गए। कई इलाकों में कंपन इतने तीव्र थे कि लोग तुरंत घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित था और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया डरावना अनुभव
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मौजूद एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “जैसे ही झटका लगा, मैं उठ गया और डर के मारे कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गया। हाल ही में भी ऐसे झटके महसूस किए गए थे। दिल्ली-एनसीआर में अक्सर भूकंप आते रहते हैं, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।”
एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “मैं दुकान पर खड़ा था और ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने पूरी दुकान को झकझोर दिया हो।”
क्यों आते हैं भूकंप?
धरती की सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है, जो निरंतर गति में रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो उनके किनारों में तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव अधिक हो जाता है, तो प्लेटें टूट जाती हैं और उनकी अंदरुनी ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है। इसी अचानक ऊर्जा-मुक्ति को भूकंप कहते हैं।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता क्या दर्शाते हैं?
भूकंप का एपिसेंटर वह बिंदु होता है, जो धरती की सतह पर उस स्थान के ठीक ऊपर स्थित होता है, जहां प्लेटों के बीच हलचल होती है। इसी जगह कंपन सबसे तीव्र महसूस होते हैं। जैसे-जैसे कंपन की दूरी बढ़ती है, उसका प्रभाव कम होता जाता है।
यदि भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक हो, तो इसका असर लगभग 40 किलोमीटर तक गंभीर हो सकता है, हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि ऊर्जा किस दिशा में मुक्त हुई—ऊपर की ओर या क्षैतिज रूप से।
रिक्टर स्केल से कैसे मापी जाती है तीव्रता?
भूकंप की ताकत मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है। इस पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 1 से लेकर 9 तक मापी जाती है। यह माप इस बात को दर्शाता है कि धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा कितनी तीव्र थी। इसी माप के आधार पर यह तय किया जाता है कि भूकंप कितना हल्का या विनाशकारी था।