कलयुग के ‘श्रवण कुमार’: कांवड़ में दादी को बिठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे दो पोते


सावन के पावन महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान एक भावुक और प्रेरणादायक दृश्य उत्तर प्रदेश के बड़ौत-बुढ़ाना मार्ग पर देखने को मिला। हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ निवासी दो युवा भाई, विशाल और जतिन, अपनी 70 वर्षीय दादी राजबाला को पालकी में बिठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर घर लौट रहे हैं। दोनों भाइयों ने एक ओर गंगाजल और दूसरी ओर अपनी दादी को पालकी में संतुलित कर अपनी आस्था और सेवा भावना का अनुपम उदाहरण पेश किया है।

कांवड़ यात्रा के दौरान इन भाइयों की “श्रवण कुमार” के रूप में जमकर सराहना हो रही है। हरिद्वार से यात्रा शुरू करने से पहले, वे अपनी दादी को तीर्थ स्थलों के दर्शन कराने और गंगा स्नान कराने भी ले गए थे। उन्होंने बताया कि यह यात्रा उनकी दादी की वर्षों पुरानी इच्छा थी, जिसे उन्होंने लगातार दूसरी बार पूरा किया है।

दादी की भावुक प्रतिक्रिया:
पालकी में बैठकर यात्रा कर रहीं राजबाला ने अपने पोतों पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “भगवान हर किसी को ऐसे पोते दे। जब लोग मेरे बेटों की तारीफ करते हैं, तो मेरा हृदय गद्गद हो जाता है।”

सेवा ही धर्म है:
विशाल ने बताया कि उनके पिता अयोध्या में कार्यरत हैं और बचपन से उनकी दादी ने उन्हें पाला-पोसा। अब वे आत्मनिर्भर हैं और हरसंभव प्रयास कर अपनी दादी की इच्छाओं को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उनका कर्तव्य है और वे इसे पूरे मन से निभा रहे हैं।

यात्रा में संदेश:
विशाल और जतिन ने अन्य कांवड़ यात्रियों से अपील की कि वे यात्रा के दौरान सड़क पर सतर्कता बरतें और किसी भी तरह के नशे से दूर रहें। उनका मानना है कि भोलेनाथ सभी सच्चे श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

जलाभिषेक की तैयारी:
भाइयों ने बताया कि वे 23 जुलाई को महाशिवरात्रि के अवसर पर बहादुरगढ़ पहुंचकर स्थानीय शिवालय में गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करेंगे।

इस प्रेरक यात्रा ने न केवल सेवा और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि प्रेम, कर्तव्य और भक्ति मिलकर समाज को नई दिशा दे सकते हैं।

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