नागरिकों को रजिस्ट्री के लिए अब केवल एक बार जाना होगा कार्यालय: सुक्खू

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य में भूमि पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए ‘माई डीड’ एनजीडीआरएस (नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। इस नई प्रणाली के तहत नागरिकों को अपनी जमीन की रजिस्ट्री के लिए अब केवल एक बार पंजीकरण कार्यालय जाने की आवश्यकता होगी। वे कभी भी और कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे, जिससे समय और श्रम की बचत होगी।

इस परियोजना की शुरुआत राज्य के 10 उपमंडलों—बिलासपुर सदर, डलहौजी, गलोड़, जयसिंहपुर, भुंतर, पधर, कुमारसेन, राजगढ़, कंडाघाट और बंगाणा—में की गई है। साथ ही, मुख्यमंत्री ने जमाबंदी, ई-रोजनामचा वाक्याती और कारगुजारी प्रणाली जैसी अन्य डिजिटल पहलों की भी शुरुआत की, ताकि राजस्व विभाग के कार्यों को अधिक सुगम और प्रभावी बनाया जा सके।

सरल भाषा में भूमि रिकॉर्ड, डिजिटल निगरानी पर ज़ोर

मुख्यमंत्री ने बताया कि नई जमाबंदी का प्रारूप अब आसान हिंदी में तैयार किया गया है। इसमें पुरानी भाषाएं जैसे उर्दू, अरबी और फारसी को हटाकर आम जनता के लिए रिकॉर्ड को अधिक सुलभ बनाया गया है। ई-रोजनामचा सुविधा से पटवारी अब अपनी दैनिक प्रविष्टियों को डिजिटल रूप से दर्ज कर सकेंगे, जबकि कारगुजारी प्रणाली से वे अपनी उपस्थिति भी ऑनलाइन दर्ज कर पाएंगे। तहसीलदारों को अब अपने अधीनस्थों की निगरानी डिजिटल रूप से करने की सुविधा भी मिलेगी।

उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही ऑनलाइन म्यूटेशन रजिस्टर को भी इन सेवाओं से जोड़ा जाएगा, जिससे म्यूटेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति सुनिश्चित होगी।

डिजिटलीकरण से पारदर्शिता और सेवा में सुधार का प्रयास

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल प्रशासनिक पारदर्शिता और दक्षता के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने पेपरलेस, प्रजेंसलेस और कैशलेस सेवाओं की ओर बढ़ने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि डिजिटल माध्यम से नागरिकों को घर बैठे सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

राज्य सरकार ने शासन प्रणाली को उत्तरदायी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से कई डिजिटल सुधार शुरू किए हैं। इसी क्रम में उन्होंने एनआईसी और डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं शासन विभाग को निर्देश दिए कि राजस्व सेवाओं को और अधिक प्रभावशाली व जनहितकारी बनाने के लिए डिजिटल मॉड्यूल्स पर तेजी से कार्य करें।

महत्वपूर्ण निर्देश और समयसीमा तय

मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 दिनों के भीतर डिजिटल हस्ताक्षर सहित जमाबंदी मॉड्यूल तैयार किया जाए, जिससे नागरिकों को ‘फर्द’ प्राप्त करने के लिए पटवारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली को भी पूरी तरह ऑनलाइन, पेपरलेस और पारदर्शी बनाने के लिए 15 दिनों के भीतर डिजिटल कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए। इसके तहत याचिकाएं ऑनलाइन दायर की जा सकेंगी और समन आदि की जानकारी भी डिजिटल रूप से दी जा सकेगी।

इसके अलावा, उन्होंने म्यूटेशन मॉड्यूल को जमाबंदी रिकॉर्ड से जोड़ने और इसे 15 दिनों में विकसित करने के निर्देश दिए ताकि म्यूटेशन की प्रक्रिया तेज़ हो सके।

‘खान्गी तकसीम’ को मिशन मोड में लागू करने के निर्देश

मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को निर्देशित किया कि इन सभी पहलों को जमीनी स्तर पर सक्रिय रूप से लागू करें। विशेष रूप से उन्होंने उन मामलों में जहां ज़मीन संयुक्त स्वामित्व में है, ‘खान्गी तकसीम’ की प्रक्रिया को मिशन मोड में अपनाने को कहा। इससे ‘सिंगल खाता, सिंगल मालिक’ की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा और भूमि अभिलेखों में अधिक स्पष्टता आएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन डिजिटल पहलों के माध्यम से लोगों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और शिकायतों का समाधान शीघ्रता से हो सकेगा।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक विनोद सुल्तानपुरी व मलेंद्र राजन, मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, निदेशक राघव शर्मा, डॉ. निपुण जिंदल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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