शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को बड़ा झटका लगा। सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन बाजार में गिरावट के चलते निवेशकों की पूंजी में एक दिन में 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी दर्ज की गई।
वहीं, दूसरी ओर देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 4 जुलाई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.05 अरब डॉलर घटकर 699.74 अरब डॉलर रह गया है। इससे पहले वाले सप्ताह में यह भंडार 4.85 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 702.78 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। सितंबर 2024 के अंत में भारत का फॉरेक्स रिजर्व अब तक के उच्चतम स्तर 704.88 अरब डॉलर पर दर्ज किया गया था।
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets) 3.54 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 591.29 अरब डॉलर पर आ गई हैं। इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी प्रमुख गैर-अमेरिकी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर भी शामिल होता है।
सोने और SDR में बढ़ोतरी
हालांकि, इसी अवधि में भारत के स्वर्ण भंडार का मूल्य 34.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 84.85 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसके साथ ही विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR) में भी 3.9 करोड़ डॉलर की बढ़त दर्ज हुई है, जो अब 18.87 अरब डॉलर हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की आरक्षित पूंजी 10.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.74 अरब डॉलर पर पहुंच गई है।
विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की वित्तीय मजबूती का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कर्ज अदायगी में सहायक होता है, बल्कि रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। आरबीआई समय-समय पर इन भंडारों की निगरानी करता है और जब भी बाजार में अस्थिरता बढ़ती है, वह हस्तक्षेप कर रुपये को संतुलित करने की कोशिश करता है।