दिल्ली-एनसीआर में फिर थर्राई धरती, झज्जर बना भूकंप का केंद्र

दिल्ली और गुरुग्राम समेत एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार रात एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इससे एक दिन पहले भी इसी क्षेत्र में सुबह के समय कंपन दर्ज किए गए थे, जिससे लोग घबराकर घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए थे।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology) के अनुसार, रात 7:49 बजे हरियाणा के झज्जर क्षेत्र में 3.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। झज्जर लगातार दूसरे दिन भूकंप का मुख्य केंद्र बना रहा। झटकों की अवधि लगभग 10 सेकंड रही।

आखिर क्यों आते हैं भूकंप?

पृथ्वी की सतह सात बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है, जो लगातार धीमी गति से हिलती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के नीचे धंसती हैं, तो उनके किनारों पर अत्यधिक दबाव बनता है। जब यह दबाव एक सीमा से ज्यादा हो जाता है, तो ऊर्जा एक झटके के रूप में बाहर निकलती है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।

क्या होता है भूकंप का केंद्र और प्रभाव?

भूकंप का केंद्र (Epicenter) वह स्थान होता है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल होती है। यही वह बिंदु होता है जहां झटकों की तीव्रता सबसे अधिक होती है। इस स्थान से दूरी बढ़ने के साथ कंपन की तीव्रता घटती जाती है। यदि किसी भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 या उससे अधिक हो, तो उसका असर 40 किलोमीटर के दायरे तक गंभीर हो सकता है, हालांकि यह इस पर भी निर्भर करता है कि ऊर्जा किस दिशा में फैली है — ऊपर की ओर या क्षैतिज रूप में।

रिक्टर स्केल से होती है माप

भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल के माध्यम से मापा जाता है। यह एक गणितीय पैमाना है, जिससे पृथ्वी की सतह से निकलने वाली ऊर्जा को मापा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 1 से लेकर 9 या उससे अधिक तक हो सकती है। जितनी अधिक तीव्रता, उतनी ही गंभीर कंपन और क्षति की आशंका होती है।

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