यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हुए मराठा साम्राज्य के 12 ऐतिहासिक किले

मराठा शासकों की सैन्य रणनीति और स्थापत्य कुशलता को दर्शाने वाले बारह ऐतिहासिक किलों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने विश्व धरोहर सूची में स्थान दिया है। यह निर्णय पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (WHC) के 47वें अधिवेशन के दौरान लिया गया।

यूनेस्को ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि भारत की ओर से प्रस्तुत ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ नामक नामांकन को 2024-25 सत्र के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसे अब वैश्विक धरोहर का दर्जा प्रदान किया गया है।

क्या है ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’?

यह नामांकन मराठा शासन के दौरान निर्मित 17वीं से 19वीं सदी के बीच बने किलों और दुर्गों को दर्शाता है, जो सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। इनमें महाराष्ट्र स्थित शिवनेरी, साल्हेर, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, पन्हाला, सिंधुदुर्ग, विजय दुर्ग, स्वर्णदुर्ग, लोहगढ़, खंडेरी और तमिलनाडु का जिंजी किला शामिल हैं। ये किले भिन्न-भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में निर्मित हैं और मराठा साम्राज्य की युद्ध नीति, निर्माण शैली और रक्षा प्रणाली के जीवंत उदाहरण हैं।

एक चक्र में एक ही नामांकन

यूनेस्को की 2023 की कार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र किसी एक चक्र में केवल एक धरोहर नामांकन प्रस्तुत कर सकता है। भारत ने इस वर्ष ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को अपनी ओर से नामित किया था, जिसे वैश्विक धरोहर सूची में स्थान मिल गया।

क्या है इस सूची में शामिल होने का महत्व?

किसी स्थल का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना, न केवल उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है, बल्कि इससे उस स्थल के संरक्षण, पुनरुद्धार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। मराठा किलों को यह दर्जा मिलना भारत के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है, जो देश की सैन्य इतिहास और वास्तुशिल्प धरोहर की वैश्विक स्वीकार्यता को मजबूत करेगा।

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