पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से मौजूदा नियमों में बदलाव की अपील की है। उन्होंने विशेष रूप से दो मुद्दों को उठाया—गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंध को हटाने की जरूरत और ड्यूक गेंद की घटती गुणवत्ता पर गंभीरता से विचार करने की मांग।
ड्यूक बॉल को लेकर बढ़ती चिंता
भारत और इंग्लैंड के बीच जारी टेस्ट सीरीज़ के शुरुआती तीन मैचों में ड्यूक गेंद के प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे हैं। मैचों के दौरान गेंद बार-बार लय खो रही है और खिलाड़ियों को बार-बार नई गेंद लेनी पड़ रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कुंबले ने ESPNcricinfo से बातचीत में कहा, “अगर गेंद 10 ओवर के भीतर ही अपनी गुणवत्ता खो बैठती है, तो इसे बार-बार बदलना खेल के लिए भी ठीक नहीं और गेंद के लिए भी नहीं। कुछ न कुछ करना जरूरी है।”
10 ओवर में गेंद बदलने पर भारतीय टीम में असंतोष
तीसरे टेस्ट के दौरान लॉर्ड्स में दूसरे दिन के खेल में, सुबह के सत्र में ही दो बार गेंद बदली गई। महज 10 ओवर के भीतर दो बार गेंद को बदले जाने से भारतीय खिलाड़ियों में नाराज़गी देखने को मिली। कुंबले ने सुझाव दिया कि गेंद के पुराने निर्माण मानकों को फिर से अपनाना एक व्यावहारिक समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा, “जो क्वालिटी 5 साल पहले थी, अगर वही वापस लाई जाए तो यह बेहतर रहेगा।”
लार के इस्तेमाल पर दोबारा विचार की जरूरत
इसके साथ ही, अनिल कुंबले ने यह भी कहा कि गेंद को चमकाने के लिए लार के उपयोग पर लगा प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। उनका मानना है कि इससे गेंदबाज़ों को गेंद को लंबे समय तक चमकदार बनाए रखने और रिवर्स स्विंग हासिल करने में मदद मिल सकती है। “आज के हालात में रिवर्स स्विंग के मौके बेहद कम मिलते हैं। यदि लार की अनुमति हो, तो गेंदबाज़ों को थोड़ी राहत मिलेगी,” कुंबले ने कहा।