कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद पर चल रही अटकलों के बीच ‘कुर्सी’ की बात हर तरफ गूंज रही है। कुछ लोग डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं, तो वहीं सिद्धारमैया के पक्षधर हैं। हालांकि दोनों नेता इसे लेकर चुप्पी बनाए हुए हैं। लेकिन बैंगलौर बार एसोसिएशन के नादप्रभु केम्पेगौड़ा जयंती समारोह में अचानक शिवकुमार की टिप्पणी ने राजनीतिक हलचल दौड़ा दी।
“कुर्सी ढूंढना मुश्किल है, एक बार बैठ गए तो न उतरे”
बीते शुक्रवार को समारोह उद्घाटन में शिवकुमार ने अपने संबोधन के दौरान कहा, “मैं देख रहा हूं, यहां कई कुर्सियां खाली पड़ी हैं लेकिन कई वकील खड़े हैं। हम सभी एक कुर्सी की तलाश में हैं… जब मौका मिले तो उस पर ऐसे बैठना चाहिए कि फिर नीचे नहीं उतरना पड़े।” इस बयान से मुख्यमंत्री पद की दौड़ और संभावित सत्ता संघर्ष की अटकलें तेज हो गई हैं।
बार एसोसिएशन को कई उपहारों की घोषणा
शिवकुमार ने मौके पर घोषणा की कि बैंगलौर बार एसोसिएशन को केम्पेगौड़ा की जयंती के नाम पर 10 एकड़ जमीन दी जाएगी, 5 करोड़ रुपये ग्रेटर बैंगलौर अथॉरिटी और 5 लाख रुपये समारोह के लिए अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा दो वकीलों को सालाना ‘केम्पेगौड़ा पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया जाएगा।
मुकाबला सत्ता-साझेदारी पर बयानबाज़ी से
राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि क्या कांग्रेस में पार्टी आलाकमान ने कोई सत्ता-वाटिका समझौता किया है? शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ने इन््दा साफ इंकार किया है। सिद्धारमैया ने पहले कहा था कि वे अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, और उन्होंने यह भी बताया कि उनका और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का कोई साझा सत्ता समझौता नहीं हुआ है।
सिद्धारमैया का बयान
उन्होंने गुरुवार को कहा, “शिवकुमार में मुख्यमंत्री पद की इच्छा होना गलत नहीं, लेकिन पद फिलहाल किसी को खाली नहीं मिला है। मैं 2028 तक मुख्यमंत्री रहूंगा, और यदि पार्टी आलाकमान कुछ कहे, तो उसका पालन करूंगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सत्ता-विभाजन पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हो रही है।