नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बेबाकी से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सम्मान की मांग नहीं की जानी चाहिए, बल्कि उसे अपने कर्मों से अर्जित करना चाहिए। यदि व्यक्ति योग्य है, तो उसे स्वाभाविक रूप से सम्मान मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि जिसे अपने धन, शक्ति, ज्ञान या सौंदर्य का घमंड होता है, वह दूसरों के किसी काम नहीं आता।
गडकरी ने इस मौके पर बताया कि वह तीसरी बार सांसद चुने गए हैं और इस बार चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कोई पोस्टर, बैनर या भोज का आयोजन नहीं किया। उन्होंने कहा, “मैंने न जातिवाद का सहारा लिया, न ही धर्म का। जिसने मेरे कार्यों पर भरोसा किया, उसने वोट दिया। मेरे सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं हो सकता।”
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर सख्त रुख
कार्यक्रम में गडकरी ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक नियुक्तियों से लेकर पदोन्नतियों तक हर स्तर पर रिश्वत की मांग की जाती है। “मुझे अधिकारियों की हर गतिविधि की जानकारी है। पहले घूस ली जाती है, और जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है तो वही अधिकारी जेल पहुंचते हैं।”
“समस्या को अवसर में बदलना जरूरी”
गडकरी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि लोग अक्सर पूछते हैं कि भ्रष्टाचार के बावजूद सड़कें कैसे बनती हैं। इस पर उन्होंने कहा, “कुछ लोग समस्याओं को अवसर में बदलते हैं, जबकि कुछ लोग अवसरों को भी समस्या बना देते हैं।”
“नौकरी परीक्षा है, गधे को घोड़ा बनाना सीखो”
अधिकारियों को जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, “तुम्हारी नौकरी ही तुम्हारी परीक्षा है। अगर सामने गधा है, तो उसे घोड़ा बनाकर दिखाओ। यह मत कहो कि वो सुधर नहीं सकता — क्योंकि उसे सुधारना ही तुम्हारा काम है।”