बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने पशु प्रजनन विज्ञान में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। यहां पहली बार एक साथ छह गायों और एक भैंस में टेस्ट ट्यूब से विकसित भ्रूणों का प्रत्यारोपण किया गया है। विशेषज्ञों का दावा है कि देश में यह अपनी तरह की पहली प्रक्रिया है, जो पशु नस्ल सुधार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
पशु पुनरुत्पादन विभाग के वैज्ञानिक डॉ. ब्रजेश कुमार ने बताया कि इनमें पांच साहीवाल और एक थारपरकर नस्ल की गायों के साथ मुर्रा नस्ल की एक भैंस शामिल हैं। ये सभी पशु अब सरोगेट मदर की भूमिका में हैं और निर्धारित गर्भकाल पूरा होने पर टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म देंगी। गायों की गर्भावधि सात महीने और भैंस की नौ महीने होगी।
इससे पहले IVRI ने 2018 में सुपर ओवुलेशन तकनीक से सफल भ्रूण प्रत्यारोपण कर 30 से अधिक साहीवाल नस्ल के बछड़ों का जन्म कराया था। लेकिन 2022 से संस्थान ने ओवम पिकअप (OPU) और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) आधारित शोध की शुरुआत की। इसमें पशुओं से परिपक्व अंडाणु निकालकर उन्हें प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से निषेचित कर भ्रूण तैयार किए जाते हैं, जिन्हें बाद में सरोगेट पशु में स्थापित किया जाता है।
डॉ. कुमार ने बताया कि इस तकनीक के जरिये एक वर्ष में सामान्य तौर पर एक बार गर्भधारण करने वाली गाय या भैंस से क्रमशः 20 और 10 उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण तैयार किए जा सकते हैं। यह नवाचार पशुपालकों को अधिक दुग्ध उत्पादन वाली नस्लें देने में सक्षम है और देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।