सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की अवधि को पाँच साल तक बढ़ाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। यह याचिका सिमी के पूर्व सदस्य हुमाम अहमद सिद्दीकी द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी गई थी। न्यायाधिकरण ने केंद्र के निर्णय को सही ठहराते हुए प्रतिबंध को जायज़ बताया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 29 जनवरी 2024 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत सिमी पर लगे प्रतिबंध को अगले पाँच वर्षों के लिए और बढ़ा दिया था। इसके बाद सरकार ने इस आदेश की समीक्षा के लिए एक न्यायाधिकरण का भी गठन किया था।
कब लगा था पहला प्रतिबंध?
सिमी की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई थी। इस संगठन को शुरुआत में युवाओं और छात्रों को केंद्र में रखकर, जमात-ए-इस्लामी-हिंद की विचारधारा से प्रेरित मानते हुए गठित किया गया था। हालांकि 1993 में संगठन ने खुद को जमात से अलग घोषित कर स्वतंत्र पहचान बना ली।
सिमी पर पहली बार प्रतिबंध वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लगाया गया था। यह फैसला अमेरिका में हुए 9/11 आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठे आतंकवाद विरोधी माहौल के मद्देनज़र लिया गया था। इसके बाद से समय-समय पर इस संगठन पर प्रतिबंध की अवधि बढ़ाई जाती रही है।