ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी इंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मोहब्बत एकतरफा नहीं हो सकती’। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता को यह समझना चाहिए कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार थे, और इन आरोपों के पीछे मंशा यह थी कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों का नेतृत्व करने वाला कोई नेता आगे न बढ़ सके। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें बिहार की जनता को अपने प्रभाव में रखना चाहती हैं, लेकिन AIMIM मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी।
ओवैसी ने बताया कि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने तीसरे मोर्चे के गठन की वकालत की है और यह कदम बिहार के मतदाताओं के समक्ष एक नई राजनीतिक संभावना के रूप में सामने आया है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर ओवैसी ने चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि नागरिकता तय करने का अधिकार न तो चुनाव आयोग के पास है और न ही वह ऐसा कर सकता है। यह जिम्मेदारी गृह मंत्रालय और सीमावर्ती इलाकों के थानेदारों की होती है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ‘पीछे के रास्ते से एनआरसी’ लागू करने की कोशिश कर रहा है और सीमांचल के मतदाताओं को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है, खासकर जब बिहार में नवंबर में चुनाव प्रस्तावित हैं।
सूत्रों के हवाले से खबरों पर जताई आपत्ति
ओवैसी ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक संवैधानिक संस्था होने के बावजूद चुनाव आयोग स्वयं कोई बयान नहीं दे रहा है, बल्कि ‘सूत्रों’ के माध्यम से सूचनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि ये सूत्र आखिर हैं कौन? उन्होंने यह भी कहा कि संसद में खुद कानून मंत्री ने 2016, 2017 और 2019 के आंकड़ों के आधार पर बताया था कि उस दौरान एक भी विदेशी नागरिक की पहचान नहीं हुई थी।
बीएलओ की सूची सार्वजनिक करने की मांग
AIMIM प्रमुख ने मांग की कि उन बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की सूची सार्वजनिक की जाए, जो मतदाता सूची पुनरीक्षण में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करेगी कि वे बीएलओ से मिलकर जानें कि नेपाल, म्यांमार या बांग्लादेश से आने वाले जिन लोगों की बात हो रही है, वे कहां हैं? ओवैसी ने सवाल किया कि जब 2003 में भी इसी तरह का पुनरीक्षण हुआ था तो उसमें कितने विदेशी पाए गए थे?
अंत में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान की गरिमा को ‘बेबुनियाद सूत्रों’ के जरिए आहत किया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।