हज 2026 की नई नीति के अनुसार 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के इच्छुक यात्री अब अकेले हज यात्रा पर नहीं जा सकेंगे। उनके लिए एक सहयोगी (कम्पेनियन) को साथ ले जाना अनिवार्य कर दिया गया है। सहयोगी की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। यदि बुजुर्ग पति-पत्नी हज पर जाना चाहें तो दोनों को अलग-अलग सहयोगी के साथ जाना होगा।
हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, सहयोगी की व्यवस्था सुरक्षा और सुविधा के मद्देनज़र की गई है। हालांकि, इससे बुजुर्ग यात्रियों के सामने नई चुनौतियाँ भी खड़ी हो गई हैं, विशेष रूप से उन परिवारों के लिए जहाँ दोनों पति-पत्नी 65 वर्ष से ऊपर हैं। इस स्थिति में उन्हें दो सहयोगियों की व्यवस्था करनी होगी, जिससे यात्रा पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।
बिना महरम की महिलाओं पर भी नियम लागू
बिना महरम श्रेणी में आने वाली 65 वर्ष या अधिक आयु की महिलाओं के लिए भी सहयोगी साथ ले जाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसी महिलाएं, जो शरई महरम (पारंपरिक रूप से पुरुष अभिभावक) के बिना हज पर जाती हैं, उन्हें 45 से 60 वर्ष की आयु वाली महिला सहयोगी के साथ यात्रा करनी होगी। वहीं, 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं चार के समूह में हज यात्रा के लिए आवेदन कर सकती हैं, पर यदि किसी की उम्र 65 से ऊपर है, तो उसे अलग से सहयोगी रखना अनिवार्य होगा।
समस्याओं को लेकर राज्य हज समिति सतर्क
राज्य हज समिति के सचिव एसपी तिवारी ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सहयोगी को अनिवार्य किया गया है। हालांकि सहयोगी की अधिकतम आयु 60 वर्ष निर्धारित होने से कई मामलों में असुविधा उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया से नियमों में लचीलापन देने का अनुरोध किया जाएगा ताकि यात्रियों को राहत मिल सके।