समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य सरकार द्वारा 10 हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के निर्णय पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह कदम बच्चों के भविष्य को अंधकारमय करने वाला है। भाजपा सरकार एक ओर प्रचार पर अरबों रुपये खर्च करती है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा के लिए धन की कमी का हवाला दे रही है।
जारी बयान में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा की नीतियां गरीबों और पिछड़े वर्गों को शिक्षा से दूर करने की दिशा में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय खास तौर पर बालिकाओं को प्रभावित करेगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लिए दूरस्थ विद्यालयों तक पहुंचना आसान नहीं होता। सपा प्रमुख ने वादा किया कि यदि उनकी सरकार आती है तो प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा और हर स्तर पर सुधार किए जाएंगे।
विद्यालय विलय के खिलाफ सपा का प्रदर्शन
प्राथमिक स्कूलों के विलय के विरोध में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राजधानी लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किया। दोपहर के समय हजरतगंज चौराहे पर एकत्र हुए कार्यकर्ताओं ने “हमें चाहिए पाठशाला, नहीं चाहिए मधुशाला” जैसे नारे लगाते हुए इस फैसले को तानाशाही बताया।
जैसे ही प्रदर्शनकारी विधानभवन की ओर बढ़ने लगे, पुलिस ने उन्हें रोका, जिस पर हल्की नोकझोंक भी हुई। इसके बाद प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लेकर ईको गार्डन भेज दिया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे जय प्रताप सिंह यादव ने कहा कि सरकार शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है और स्कूल बंद कर शराब की दुकानों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर, समाज को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है।
सपा कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि जब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। इस मौके पर राम प्रकाश मौर्य, उदय सिंह, ज्ञानेंद्र सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।