पंचायत चुनाव में मतदाता सूची को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जारी रोक के बाद कई प्रत्याशियों की चुनावी रणनीति गड़बड़ा गई है। कोर्ट के निर्णय के बाद अब उन मतदाताओं को मतदान के लिए गांव लाना मुश्किल हो गया है, जिनके नाम नगरपालिका या नगर पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज हैं।
हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश
हाईकोर्ट ने साफ किया है कि पंचायती राज अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज व्यक्तियों को पंचायत की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जारी वह सर्कुलर, जिसमें मतदान और चुनाव लड़ने के लिए नियम बताए गए थे, अब अप्रभावी हो गया है।
प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ीं
कई पंचायत प्रत्याशी ऐसे मतदाताओं पर निर्भर रहते हैं, जो शहरी निकायों से संबंध रखते हैं लेकिन चुनाव के दौरान गांव आकर वोट डालते थे। इनमें कुछ लोग रिश्तेदारी, कुछ सामाजिक संबंधों या व्यक्तिगत आग्रह के आधार पर गांव में मतदान करने आते थे।
अब दोहरे नामों की अनुमति न होने से इन मतदाताओं को गांव लाकर वोट डलवाना प्रत्याशियों के लिए चुनौती बन गया है। इस बदलाव का सीधा असर चुनावी परिणामों और प्रत्याशियों की जीत-हार पर भी पड़ सकता है।