हिसावदा (बागपत)। भारतीय नौसेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनने के बाद आस्था पूनिया जब मंगलवार को अपने पैतृक गाँव हिसावदा पहुँचीं, तो गाँव ने बेटी का स्वागत ऐतिहासिक अंदाज़ में किया। छतों से फूलों की वर्षा हुई, महिलाओं ने आरती उतारी और बुजुर्गों ने आशीर्वाद दिया।
परिवार में भी खुशी का माहौल था। दादी रामबीरी ने माथा चूमकर नजर उतारी, वहीं दादा बुद्ध सिंह ने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा— “अब हमारी बेटी दुश्मनों को करारा जवाब देगी।” गाँववालों ने भी आस्था को गर्व का प्रतीक बताया और कहा कि उसने पूरे गाँव को गौरव दिलाया है।
गाँव के बुज़ुर्ग मास्टर जयप्रकाश पूनिया बोले, “हमारी बेटियाँ अब किसी से पीछे नहीं हैं।” आस्था की मामी ज्योति सिंह ने बताया कि आस्था ने अपने जुनून और लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा, यही उसकी सफलता का कारण है।
आस्था के मामा अंशुल चौधरी ने भावुक होकर कहा, “जो मैं न कर सका, वह मेरी भांजी ने कर दिखाया। यह हमारे लिए बेहद गर्व का क्षण है।”
गाँव में निकली श्रद्धा यात्रा
गाँव पहुँचने पर आस्था को ढोल-नगाड़ों के साथ माता स्थल ले जाया गया। वहाँ पूजा-अर्चना के बाद उन्हें शिव मंदिर में जलाभिषेक कराने ले जाया गया, जहाँ रास्तेभर ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा की। मंदिर में जय भारत परिवार की ओर से उन्हें महाराजा सूरजमल की प्रतिमा भेंट की गई।
वापसी में महिलाओं ने फूल-मालाओं और नकद नेग के साथ आस्था का अभिनंदन किया। आस्था ने भी सभी का सिर झुकाकर आभार प्रकट किया। इस अवसर पर सांसद डॉ. राजकुमार संगवान और विधायक योगेश धामा ने भी उन्हें शुभकामनाएँ दीं।
गाँव में आस्था से प्रेरित हो रहे युवा
गाँव के युवाओं में आस्था की उपलब्धि से प्रेरणा की लहर दौड़ पड़ी है। युवा मोनू पूनिया, अजय और मोहित यादव जैसे कई युवक अब सेना में भर्ती होकर देश सेवा की बात कह रहे हैं। गाँव के बुज़ुर्गों ने भी बच्चों को इसी दिशा में प्रेरित करना शुरू कर दिया है।
पसंदीदा व्यंजन पर भी जताई खुशी
गाँव पहुँचने के बाद आस्था ने अपने पसंदीदा आलू के पराठों और दही का नाश्ता किया। दोपहर में पनीर, दाल और नान का लुत्फ़ उठाया। उन्होंने बताया कि उन्हें भिंडी, पराठे और पास्ता बेहद पसंद हैं, जबकि लौकी और तोरई की सब्ज़ी पसंद नहीं।