जयपुर के मिलिट्री स्टेशन में मंगलवार को ‘नेक्स्ट जनरेशन कॉम्बैट: शेपिंग टुमॉरोज़ मिलिट्री टुडे’ विषय पर आधारित एक उच्चस्तरीय तकनीकी संगोष्ठी की शुरुआत हुई। इस सेमिनार की अवधारणा दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह द्वारा की गई थी। कार्यक्रम का आयोजन सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ (CLAWS) और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) के सहयोग से हुआ।
उद्घाटन सत्र में लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने अपने संबोधन में विज्ञान और तकनीक को आत्मनिर्भर भारत की नींव करार दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध बहुआयामी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं, इसलिए भारतीय सेना को नवाचार और तेजी से अनुकूलन की दिशा में काम करना होगा।
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, खुफिया प्रणाली, निगरानी और टोही के प्रभावी इस्तेमाल की सराहना की। साथ ही उन्होंने हाइब्रिड खतरों से निपटने के लिए उन्नत सैन्य क्षमताओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वायत्त हथियार प्रणाली और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है, ताकि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नैतिक मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
सेमिनार के पहले दिन विभिन्न विषयों पर गंभीर चर्चा हुई, जिनमें हाइपरसोनिक हथियार, निर्देशित ऊर्जा प्रणाली, साइबर व इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एआई आधारित युद्ध प्रबंधन प्रणाली और सैनिकों की क्षमताएं बढ़ाने वाले एक्सोस्केलेटन जैसे नवाचार शामिल रहे।
इसके अतिरिक्त, ‘सप्त शक्ति सिम्पोजियम’ नामक एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें देश की प्रमुख रक्षा उत्पादक कंपनियों के साथ-साथ स्टार्टअप्स ने भाग लिया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन स्वयं दक्षिण पश्चिम कमान प्रमुख ने किया। इस दौरान रक्षा उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन हुआ और नवाचार को लेकर सेना और निजी क्षेत्र के बीच संवाद स्थापित किया गया।
सेमिनार का पहला दिन विचारोत्तेजक चर्चाओं से समृद्ध रहा और यह कार्यक्रम भविष्य की सैन्य रणनीतियों और तकनीक के मेल को लेकर एक सार्थक मंच के रूप में सामने आया है।