ईपीएफओ में कैडर पुनर्गठन की तैयारी, कर्मचारियों की संख्या और पदोन्नति पर हो सकता है बड़ा फैसला

नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने ढांचे को भविष्य की जरूरतों के अनुसार ढालने और सेवा गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से कैडर पुनर्गठन की दिशा में अहम कदम उठाने जा रहा है। इस क्रम में ईपीएफओ की कैडर रिव्यू (सीआर) समिति शुक्रवार को विभिन्न कर्मचारी संघों, फेडरेशनों और यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ दो दिवसीय बैठक करने जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में संगठन में स्टाफ की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए न केवल कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने, बल्कि हजारों कर्मियों की पदोन्नति को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।

ईपीएफओ में 9,000 पद खाली

वर्तमान में ईपीएफओ के पास 21 जोनल, 138 रीजनल, 114 जिला और 5 विशेष राज्य कार्यालय हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार संगठन में ग्रुप ए, बी और सी श्रेणियों में करीब 24,000 पद स्वीकृत हैं, जिनमें लगभग 9,000 पद लंबे समय से खाली हैं।

कैडर समीक्षा में लापरवाही से कर्मचारियों में असंतोष

एक कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि ईपीएफओ में कैडर की समीक्षा नियमित रूप से नहीं की जाती, जिससे सभी स्तरों पर कर्मचारियों को स्थिरता और पदोन्नति के अवसर नहीं मिल पाते। उन्होंने बताया कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) तथा कैबिनेट सचिवालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक पाँच वर्ष में कैडर रिव्यू किया जाना चाहिए, ताकि संरचनात्मक विसंगतियों को दूर किया जा सके। साथ ही पिछले एक दशक में कर्मचारियों पर कार्यभार कई गुना बढ़ा है, जिससे स्टाफ बढ़ाने की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।

पिछली कैडर समीक्षा में ग्रुप A के पद बढ़े थे

गौरतलब है कि ईपीएफओ में पिछली बार जुलाई 2016 में कैडर पुनर्गठन को मंजूरी दी गई थी, जिसमें ग्रुप A के पदों की संख्या 859 से बढ़ाकर 1,039 कर दी गई थी। इसके बाद नवंबर 2024 में श्रम मंत्री की अध्यक्षता में हुई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में अधिकारियों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था, जिसका उद्देश्य संगठन में कैडर सुधार की समीक्षा करना था।

रिक्तियों की जगह तकनीक और ठेकेदारी पर निर्भरता

सीबीटी के सदस्य हरभजन सिंह ने चिंता जताते हुए कहा कि ईपीएफओ में कई पद रिक्त हैं, लेकिन उन्हें भरने के बजाय काम का बोझ तकनीकी उपायों या आउटसोर्सिंग के जरिए निजी ठेकेदारों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई।

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