ओडिशा के बालासोर जिले में बाढ़ की भयावहता के बीच एक अत्यंत संवेदनशील घटना सामने आई है। बलियापाल ब्लॉक के मधुपुरा पंचायत स्थित चौधुरीकिद गांव के निवासी मधु प्रमाणिक के निधन के बाद, उनका अंतिम संस्कार करना परिजनों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया। बाढ़ के पानी से रास्ते कट चुके थे, ऐसे में परिवार को शव को कंधे पर उठाकर करीब पांच किलोमीटर तक बहते जल में चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ा।
क्षेत्र में खेतों और रास्तों में तीन फीट से अधिक पानी जमा है। गांव के निकट स्थित श्मशान भी जलमग्न हो गया, जिससे वहां अंतिम संस्कार संभव नहीं हो सका। मजबूरी में परिजन शव को पुरी स्थित स्वर्गद्वार ले गए, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया।
लगातार जलमग्न है बलियापाल क्षेत्र
बलियापाल क्षेत्र में 17 जून से सड़कें जलमग्न हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। परिवहन व्यवस्था ठप है और स्थानीय लोग अब नावों के सहारे आवाजाही कर रहे हैं। स्वर्णरेखा नदी इस दौरान चार बार उफान पर रही, जिससे ब्लॉक की कम से कम आठ पंचायतें बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गई हैं।
ऐसे हालात में स्थानीय लोगों ने वैकल्पिक श्मशान स्थलों, राहत शिविरों और सुरक्षित नाव परिवहन की व्यवस्था की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी को ऐसी कठिनाइयों से न गुजरना पड़े।
झारखंड से छोड़े गए पानी ने बिगाड़ी स्थिति
बालासोर जिले में बाढ़ की स्थिति झारखंड से छोड़े गए पानी और भारी बारिश के चलते और गंभीर हो गई है। इससे भोगराई, बलियापाल, जलेश्वर और बस्ता ब्लॉकों के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। स्वर्णरेखा, बुधबलंग और जलाका नदियों का जलस्तर बढ़ने से मयूरभंज जिला भी प्रभावित हुआ है।
जाजपुर जिले में भी बैतरणी नदी का जलस्तर खतरे के करीब है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि हालांकि सुवर्णरेखा और जलाका नदियों का पानी धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन राजघाट और मथानी जैसे इलाकों में अभी भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।