दिल्ली में मानसून के कारण वायु गुणवत्ता में हाल के दिनों में सुधार देखने को मिला है, लेकिन यमुना नदी की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। राजधानी से होकर बहती यमुना में सफेद झाग की मोटी परत और बढ़ता जैविक प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है।
बैक्टीरिया का स्तर सुरक्षित सीमा से हजारों गुना अधिक
यमुना में प्रदूषण की सबसे गंभीर स्थिति फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के स्तर को लेकर है, जो सीधे तौर पर बिना उपचार वाले सीवेज से जुड़ा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा तय 2,500 एमपीएन/100 मिलीलीटर की सीमा के मुकाबले, ITO पुल पर इसका स्तर 92 लाख एमपीएन/100 मिलीलीटर रिकॉर्ड किया गया, जो मानक से करीब 4,000 गुना अधिक है।
पानी में घुली ऑक्सीजन और BOD का स्तर भी गंभीर
पानी की गुणवत्ता दर्शाने वाले बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर भी खतरनाक सीमा पर है। पल्ला में BOD 8 मिलीग्राम/लीटर दर्ज किया गया, जबकि सुरक्षित सीमा 3 मिलीग्राम/लीटर या उससे कम मानी जाती है। पल्ला से ITO के बीच BOD 70 मिलीग्राम/लीटर तक पहुंच गया है।
जून की तुलना में जुलाई में प्रदूषण बढ़ा है। उदाहरण के लिए, असगरपुर में बीओडी जहां जून में 44 मिलीग्राम/लीटर था, वहीं जुलाई में मामूली गिरावट के बावजूद यह अभी भी मानकों से बहुत ऊपर है।
दिल्ली में यमुना के 22 नालों से सीधे गिर रहा है गंदा पानी
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के 22 ड्रेनेज पॉइंट्स से सीधा सीवेज यमुना में जा रहा है। जून में इन स्थानों पर बीओडी स्तर निम्नानुसार था: पल्ला (5), वजीराबाद (8), ISBT (31), ITO (46), निजामुद्दीन (40), ओखला बैराज (30), आगरा नहर (38), और असगरपुर (44 मिलीग्राम/लीटर)।
Dissolved Oxygen की स्थिति भी खराब
जलचरों के लिए आवश्यक घुलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है, जो नदी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
हर महीने पेश हो रही है यमुना की प्रदूषण रिपोर्ट
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार, यमुना में आठ स्थानों से नियमित रूप से पानी के नमूने एकत्र कर रिपोर्ट तैयार करती है। जुलाई की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि नदी का प्रदूषण स्तर न केवल पहले से ज्यादा खराब हुआ है, बल्कि वर्ष 2024 में अब तक का सबसे खराब स्तर दर्ज किया गया है।
ITO, ओखला बैराज, आगरा नहर और असगरपुर जैसे बिंदुओं पर मल कोलीफॉर्म की संख्या भी लाखों में रिकॉर्ड की गई है — जो मानकों से हजारों गुना अधिक है।