संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से, सर्वदलीय बैठक में सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई चर्चा

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के साथ शुरू होने से पहले ही राजनीतिक हलचलों का केंद्र बन गया। यह बैठक केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया को बताया कि सभी दलों से अपील की गई है कि वे सत्र के दौरान सदन की सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, “राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन लोकतंत्र में संसद का ठीक से चलना हर दल की साझा जिम्मेदारी है।”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा को तैयार केंद्र सरकार

रिजिजू ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि यह विषय राष्ट्रीय महत्व का है और सरकार चाहती है कि इसकी जानकारी और अनुभव संसद के माध्यम से देश के सामने आएं।

51 दलों के प्रतिनिधि हुए शामिल

सर्वदलीय बैठक में 51 दलों के कुल 54 सांसद शामिल हुए। इनमें से 40 से अधिक नेताओं ने अपनी पार्टियों की ओर से विचार प्रस्तुत किए। रिजिजू ने बताया कि चर्चा सकारात्मक माहौल में हुई और कई दलों ने आगामी सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर सुझाव दिए। सरकार ने सभी बिंदुओं को संज्ञान में लेकर नोट किया है।

छोटे दलों को भी मिले पर्याप्त समय

बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि संसद में संख्या बल के आधार पर बोलने का समय तय होने के कारण छोटे दलों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाता। रिजिजू ने कहा कि इस विषय को गंभीरता से लिया गया है और छोटे दलों के सदस्यों को भी पर्याप्त समय देने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

विपक्ष और सरकार, दोनों की है ज़िम्मेदारी

संसदीय कार्य मंत्री ने दोहराया कि संसद की गरिमा बनाए रखने और कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि विपक्ष की भी है। उन्होंने कहा, “हम नियमों और लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि सभी अहम मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा हो।”

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