आंध्र प्रदेश। राज्य में चर्चित 3,500 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच कर रही आंध्र प्रदेश पुलिस ने शनिवार को एक स्थानीय अदालत में 305 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपपत्र में बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को हर महीने औसतन 50 से 60 करोड़ रुपये की रिश्वत दी जाती थी, हालांकि उन्हें सीधे तौर पर आरोपी नहीं बनाया गया है। अदालत ने फिलहाल आरोपपत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया है।
जांच एजेंसी के अनुसार, यह रकम पहले मुख्य आरोपी केसिरेड्डी राजशेखर रेड्डी के पास पहुंचती थी, जो आगे चलकर मिधुन रेड्डी, विजय साई रेड्डी और बालाजी के जरिये कथित रूप से जगन रेड्डी तक पहुंचाई जाती थी। पुलिस का दावा है कि यह सिलसिला हर महीने चलता था और एक गवाह के बयान से भी इसकी पुष्टि हुई है।
नीतियों में बदलाव से खुला रास्ता
आरोपपत्र में कहा गया है कि राजशेखर रेड्डी ने आबकारी नीति में बदलाव कर ऑटोमैटिक ओएफएस प्रणाली को मैनुअल में तब्दील कराया और अपने विश्वासपात्र अधिकारियों की तैनाती करवाई। साथ ही, फर्जी डिस्टिलरी के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया गया। आरोपियों ने नई शराब ब्रांड लॉन्च कर वितरण और बिक्री पर नियंत्रण स्थापित किया, जिससे उन्हें भारी कमीशन प्राप्त हो।
विदेशों में निवेश और चुनावी फंडिंग का भी आरोप
पुलिस के अनुसार, इस रकम का उपयोग विदेशों में सोना, संपत्तियाँ और ज़मीन खरीदने में किया गया। कई फर्जी कंपनियों के ज़रिये पैसों को सफेद किया गया, जिनका निवेश दुबई और अफ्रीका तक फैला था। साथ ही, वाईएसआरसीपी को चुनावों में 250 से 300 करोड़ रुपये नकद देने का भी आरोप है।
मिधुन रेड्डी गिरफ्तार, ईडी की भी जांच जारी
विशेष जांच दल (SIT) ने मामले में वाईएसआरसीपी के लोकसभा सांसद पीवी मिधुन रेड्डी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच करते हुए पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया है।
वाईएसआरसीपी ने कार्रवाई को बताया राजनीतिक बदले की भावना
मिधुन रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद पार्टी नेताओं ने इस कार्रवाई को सत्तारूढ़ सरकार की बदले की राजनीति करार दिया। वाईएसआरसीपी की ओर से जारी प्रेस बयान में पूर्व मंत्री बोचा सत्यनारायण समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर सत्ता का दुरुपयोग करने और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।