लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराने के लिए एक नई और आकर्षक योजना लाने की तैयारी में है। प्रस्तावित योजना के तहत लघु और सीमांत किसानों को सोलर पंप की कुल लागत का मात्र 10% भुगतान करना होगा, जबकि शेष 90% राशि सरकार वहन करेगी। बड़े किसानों को भी राहत दी जाएगी और उन्हें केवल 20% लागत देनी होगी। यह प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जाने वाला है।
इस योजना को आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनज़र भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेश में कुल 238.22 लाख किसान हैं, जिनमें करीब 93% लघु और सीमांत श्रेणी में आते हैं। सरकार का उद्देश्य कृषि में बिजली और डीजल की खपत को घटाकर सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई को बढ़ावा देना है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों की लागत भी घटाई जा सके।
अब तक मिलता था 60% अनुदान, अब मिलेगा अधिक सहयोग
वर्तमान में किसानों को सोलर पंप पर 60 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। अब इस अनुदान को और बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है। दो हॉर्स पावर से लेकर 10 हॉर्स पावर तक के सोलर पंपों के माध्यम से सिंचाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
किसानों को खुद करनी होगी बोरिंग, उपकरण सरकार से
कृषि विभाग ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (पीएम-कुसुम) योजना के अंतर्गत विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। योजना के तहत किसान स्वयं बोरिंग करवाएंगे, जबकि मोटर, सोलर पैनल और अन्य उपकरण विभाग द्वारा पंजीकृत कंपनियों से उपलब्ध कराए जाएंगे। अनुमानित लागत के अनुसार दो हॉर्स पावर के सोलर पंप की कीमत लगभग ₹1.80 लाख और पांच हॉर्स पावर के पंप की लागत ₹4.80 लाख तक होगी।
2025-26 तक 45 हजार सोलर पंप लगाने का लक्ष्य
प्रदेश में वर्ष 2017-18 से लेकर 2024-25 के बीच 79,516 सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। सरकार ने अब वर्ष 2025-26 के लिए 45 हजार और सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में राज्य की 70 प्रतिशत कृषि भूमि की सिंचाई भूजल के माध्यम से होती है, जिसे सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई में रूपांतरित करने का प्रयास जारी है।
पंजीकरण होगा ऑनलाइन, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता
योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसानों को कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। निर्धारित समयसीमा के भीतर पंजीकृत आवेदकों में से चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ या लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। इस चयन प्रक्रिया की निगरानी जिला और राज्य स्तर की चयन समितियां करेंगी।