संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने मंगलवार को पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और देश की संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का सवाल भारत को स्वीकार नहीं है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय खुली चर्चा के दौरान यह बयान दिया, जहां वैश्विक शांति, बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर चर्चा हो रही थी।
हरीश का यह बयान उस वक्त आया जब पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कश्मीर को लेकर टिप्पणी की थी और सिंधु जल संधि (IWT) का उल्लेख करते हुए मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास किया। भारतीय राजदूत ने पाकिस्तान के इस प्रयास की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि आतंकवाद पर पाकिस्तान का दोहरा रवैया वैश्विक शांति के लिए गंभीर चुनौती है।
यूएन मंच से भारत की कूटनीतिक दृढ़ता
राजदूत हरीश ने कहा कि यह समय है जब संयुक्त राष्ट्र को आत्ममंथन करना चाहिए कि उसकी स्थापना के 80 वर्षों में बहुपक्षीयता और शांतिपूर्ण समाधान के लक्ष्यों को कितना हासिल किया जा सका है। उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के दौर के बाद, संघर्षों का स्वरूप बदला है — अब गैर-सरकारी तत्वों को कुछ देश अपनी नीतियों के उपकरण की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सीमापार आतंकवाद, हथियारों की तस्करी और कट्टर विचारधारा फैलने जैसे खतरे बढ़े हैं।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों की प्रासंगिकता और भविष्य को लेकर भी विचार साझा करते हुए क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका को अहम बताया, खासकर अफ्रीकी संघ का उदाहरण देते हुए।
पाकिस्तान को कड़ा संदेश: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
राजदूत ने कहा कि हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी। इसके बाद सुरक्षा परिषद ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए दोषियों को सजा दिलाने की बात कही। भारत ने इसके बाद “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पीओके में सक्रिय आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था। यह कार्रवाई सीमित और संतुलित थी और जैसे ही अपने लक्ष्य पूरे हुए, पाकिस्तान के अनुरोध पर इसे रोक दिया गया।
हरीश ने स्पष्ट किया कि हर अंतरराष्ट्रीय विवाद के समाधान के लिए एक ही तरीका लागू नहीं हो सकता। परिस्थिति और समय के अनुरूप समाधान तलाशना ही व्यवहारिक और टिकाऊ रास्ता है।
भारत-पाक अंतर स्पष्ट: लोकतंत्र बनाम आतंक
अपने वक्तव्य में हरीश ने भारत और पाकिस्तान की स्थिति का अंतर भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत एक प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और समावेशी समाज है, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद और धार्मिक कट्टरता में डूबा देश है, जो बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से सहायता मांगता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को आतंकवाद पर ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति अपनानी चाहिए और किसी सदस्य देश को दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए।
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा, सिंधु जल संधि द्विपक्षीय मामला
राजदूत ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसकी स्थिति पर कोई भी प्रश्न भारत स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि एक द्विपक्षीय समझौता है और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसका उल्लेख करने से पहले अपने ही उल्लंघनों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की ओर से बार-बार कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंचों पर उठाने का प्रयास विफल ही रहा है, क्योंकि अधिकांश देश इसे भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय मसला मानते हैं। भारत की संतुलित और दृढ़ प्रतिक्रिया ने वैश्विक मंच पर उसकी छवि को और मजबूत किया है, जबकि पाकिस्तान फिर से एक भटकाव की रणनीति अपनाने वाला देश साबित हुआ है।