न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय ने मई महीने में मुख्य पुस्तकालय के भीतर फलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। विश्वविद्यालय परिसर में पिछले वर्ष एलुमनाई वीकेंड के दौरान तंबू लगाकर प्रदर्शन करने वालों को भी इस कार्रवाई के दायरे में लाया गया है। छात्र कार्यकर्ताओं के अनुसार, लगभग 80 छात्रों को एक से तीन वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है। कुछ छात्रों को निगरानी सूची में रखा गया है, तो कुछ की डिग्रियां भी रद्द कर दी गई हैं।
यह निर्णय उस समय लिया गया है, जब विश्वविद्यालय पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से 400 मिलियन डॉलर की अटकी हुई फंडिंग को बहाल करवाने की कोशिश कर रहा है। यह फंड मार्च में इसलिए रोका गया था क्योंकि प्रशासन का आरोप था कि कोलंबिया विश्वविद्यालय परिसर में यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने में असफल रहा है — खासकर अक्टूबर 2023 में इज़राइल-हमास युद्ध के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान।
प्रशासन की शर्तें मानी, अनुशासन नीति में बदलाव
विवादों के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने ट्रंप प्रशासन की कई मांगों को स्वीकार कर लिया है। इसमें छात्र अनुशासन व्यवस्था में संशोधन और यहूदी विरोध के लिए नई परिभाषा को अपनाना शामिल है। विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि उसका ध्यान अकादमिक वातावरण को सौहार्दपूर्ण बनाए रखने पर है, और इसके लिए परस्पर सम्मान एवं नीतियों का पालन अनिवार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शैक्षणिक गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न करना अनुशासनहीनता माना जाएगा। हालांकि, जिन छात्रों पर कार्रवाई हुई है, उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
फंडिंग रुकी, कर्मचारियों की छंटनी और रिसर्च में कटौती
फंडिंग पर संकट के चलते कोलंबिया प्रशासन ने मई में घोषणा की थी कि वह करीब 180 कर्मचारियों की छंटनी करेगा और शोध परियोजनाओं में कटौती करेगा। विश्वविद्यालय के अनुसार, जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, वे उनमें से हैं जिन्हें वेतन संघीय अनुदान से प्राप्त होता था — यानी कुल स्टाफ का लगभग 20 प्रतिशत।
छात्र संगठनों ने कार्रवाई को बताया कठोर
छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय द्वारा दी गई सजा को अतीत की तुलना में कहीं अधिक सख्त बताया है। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि निलंबित छात्रों को माफी मांगकर ही परिसर में पुनः प्रवेश मिल सकता है, अन्यथा उन्हें स्थायी रूप से निष्कासित कर दिया जाएगा। हालांकि, कई छात्र माफी मांगने से इंकार कर रहे हैं। ‘अपार्थेड डाइवेस्ट’ नामक छात्र समूह ने बयान जारी कर कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। फलस्तीन की आजादी की लड़ाई में हम पूरी तरह समर्पित हैं।”
अमेरिका में छात्र आंदोलनों का केंद्र बना कोलंबिया
2024 के वसंत में इज़राइल-गाजा संघर्ष के विरोध में छात्र आंदोलनों की शुरुआत कोलंबिया विश्वविद्यालय से ही हुई थी। अप्रैल में छात्रों ने परिसर में तंबू गाड़ दिए और एक इमारत पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद कई छात्रों की गिरफ्तारी भी हुई। यही विरोध जल्द ही अमेरिका के कई अन्य विश्वविद्यालयों में फैल गया। राष्ट्रपति ट्रंप ने दोबारा सत्ता में आने के बाद उन विश्वविद्यालयों की फंडिंग रोक दी जिन्हें वह यहूदी विरोध को बढ़ावा देने वाला मानते हैं।
छात्रों पर व्यक्तिगत कार्रवाई, कानूनी चुनौती भी
प्रशासन ने कुछ छात्रों के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से भी कार्रवाई की है। स्नातक छात्र महमूद खलील को मार्च में प्रदर्शन में शामिल होने के कारण हिरासत में लिया गया। वह अमेरिका में वैध रूप से रह रहे हैं और उनका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अब उन्होंने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने झूठी गिरफ्तारी, गलत आरोप और यहूदी विरोधी करार दिए जाने का आरोप लगाया है।