नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उनके हस्तक्षेप से भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव बढ़ने से रोका गया था। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच यह टकराव इतने गंभीर स्तर पर पहुंच चुका था कि वह परमाणु संघर्ष में भी बदल सकता था।
व्हाइट हाउस में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच पांच लड़ाकू विमान गिराए गए थे। दोनों देश एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे। मैंने दोनों से संपर्क किया और स्पष्ट कहा कि यदि युद्ध नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।” ट्रंप के अनुसार, उनके हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों ने पीछे हटने का निर्णय लिया।
कई क्षेत्रों में टकराव रोकने का दावा
ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया में भी तनाव कम कराने की कोशिशें कीं। उन्होंने कांगो-रवांडा और कोसोवो-सर्बिया के बीच संघर्ष को टालने और ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने का भी दावा किया।
पूर्व राष्ट्रपति ने तंज भरे अंदाज़ में कहा, “क्या राष्ट्रपति जो बाइडन ऐसी स्थिति को संभाल सकते थे? मुझे नहीं लगता। उन्हें इन देशों के नाम तक नहीं मालूम होंगे।”
अमेरिका की भूमिका पर भारत ने जताई आपत्ति
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हाल ही में हुई एक चर्चा के दौरान अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि डोरोथी शीया ने कहा कि बीते तीन महीनों में अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान, इजरायल-ईरान और कांगो-रवांडा के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने इन देशों को शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
हालांकि, भारत ने इस दावे को सिरे से नकारते हुए जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथनेनी हरीश ने कड़ी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता और उसकी नीति स्पष्ट है — सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी ही पड़ेगी।
हरीश ने इस दौरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का भी जिक्र किया, जिसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी।