बिहार विधानसभा में जुबानी जंग: विपक्ष-सत्ता पक्ष में टकराव, सदन स्थगित

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही की शुरुआत गरमागरम माहौल में हुई। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उनकी मांग पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सभी दलों को इस विषय पर अपनी बात रखने के लिए समय भी निर्धारित कर दिया।

हालांकि, राजद विधायक भाई वीरेंद्र के एक बयान से सदन में तनाव बढ़ गया। तेजस्वी जब दोबारा अपनी बात रखने लगे तो सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने बीच में टोका-टोकी शुरू कर दी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाई वीरेंद्र ने कहा, “यह सदन किसी के बाप की जागीर नहीं है, विपक्ष को भी बोलने का अधिकार है।” उनके इस बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और दोनों पक्षों के सदस्य आपस में उलझ पड़े।

स्थिति बिगड़ती देख विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस दौरान उन्होंने भाई वीरेंद्र से अपने शब्दों के लिए माफी मांगने की भी बात कही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जवाब

तेजस्वी यादव के आरोपों का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं खड़े हुए और उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि 2005 से पहले राज्य की स्थिति बेहद खराब थी, लोग शाम को घरों से निकलने में डरते थे। उस समय अराजकता का माहौल था।

मुख्यमंत्री ने तेजस्वी की ओर इशारा करते हुए कहा, “उस वक्त तुम बच्चे थे, तुम्हें क्या पता कि तुम्हारे माता-पिता की सरकार में राज्य की क्या हालत थी?” उन्होंने आगे कहा कि कैसे उन्होंने राज्य को सुधारने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया और उसे विकास के रास्ते पर लाया।

नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि जनता तय करेगी किसने राज्य के लिए क्या किया है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने राज्य को पुराने ढर्रे पर ही चलाया, जबकि हमारी सरकार ने विकास को प्राथमिकता दी।

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