सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संकेत दिया कि वह न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर विचार के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेगा। यह याचिका उस आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती देती है, जिसमें उनके सरकारी आवास से नकदी मिलने की घटनाओं को लेकर टिप्पणियां की गई थीं। मामला चीफ जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा, सिद्धार्थ अग्रवाल और अन्य वकीलों ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत से निवेदन किया कि याचिका में संवैधानिक पहलुओं को उठाया गया है और इस पर शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन आवश्यक है। इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि वे स्वयं इस मामले की सुनवाई के लिए उपयुक्त नहीं हैं, लेकिन न्यायालय एक उपयुक्त पीठ गठित करेगा जो इस पर विचार करेगी।
सतकोसिया टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट देगा सुनवाई की तारीख
उधर, ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में कथित अवैध निर्माण को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दी है। यह याचिका अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस के. वी. विश्वनाथन और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष रखी गई।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि संरक्षित वन क्षेत्र में इको-टूरिज्म के नाम पर निर्माण कार्य की अनुमति दी गई है, जो वन्यजीव संरक्षण नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने संरक्षण क्षेत्र के भीतर निर्माण की मंजूरी दी है, जो पर्यावरण और जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
बेंच ने याचिका को दर्ज करते हुए इसे भविष्य की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि सतकोसिया टाइगर रिजर्व ओडिशा के अंगुल, कटक, नयागढ़ और बौध जिलों में फैला हुआ है और यह बाघों, हाथियों तथा कई अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास माना जाता है।