दर्शन की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, हाईकोर्ट के आदेश पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता दर्शन थुगुदीपा और छह अन्य आरोपियों को रेणुकास्वामी हत्याकांड में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर गुरुवार को कड़ी आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह जमानत विवेकाधीन शक्ति के अनुचित उपयोग का मामला प्रतीत होता है। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है जिसमें दर्शन की जमानत रद्द करने की मांग की गई थी। अब फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कर्नाटक सरकार और आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुरक्षित रखा। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पक्ष रखा, जबकि बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने दलीलें दीं।

पीठ ने जताई चिंता

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश की प्रकृति पर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “ऐसा लगता है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ जमानत नहीं दी, बल्कि आरोपियों को बरी कर दिया है। क्या हर मामले में इसी तरह का आदेश दिया जाता है?”

अदालत ने आरोपियों के वकीलों से पूछा कि क्या जमानत देने के दौरान गवाहों की विश्वसनीयता पर इस तरह की टिप्पणी उचित थी। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग न्यायिक संतुलन को प्रभावित करता है।

गवाहों को बताया गया ‘अविश्वसनीय’

पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा दो मुख्य चश्मदीद गवाहों — किरण और पुनीत — को ‘अविश्वसनीय’ बताने के निर्णय पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि ऐसा कहना गंभीर मसला है, खासकर जब मुकदमे की शुरुआत तक नहीं हुई है और सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।

दर्शन की गिरफ्तारी और केस की पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि अभिनेता दर्शन को 11 जून, 2024 को एक फैन रेणुकास्वामी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। यह घटना 8 जून को हुई थी, जब रेणुकास्वामी ने कथित तौर पर पवित्रा गौड़ा को आपत्तिजनक संदेश भेजे थे। मामले में पवित्रा गौड़ा और अन्य के खिलाफ भी कार्यवाही चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जनवरी को इस मामले में नोटिस जारी किया था।

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