उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के न्यूरिया क्षेत्र में दहशत का कारण बनी बाघिन को आखिरकार वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया। गुरुवार सुबह डंडिया गांव में बाघिन की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतर्गत करीब 11 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शाम करीब साढ़े छह बजे उसे पकड़ लिया गया। इसके बाद उसे विशेष वाहन से पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) मुख्यालय भेजा गया, जहां चिकित्सकों की निगरानी में उसकी देखभाल की जा रही है।
9 जून से फैला था बाघिन का आतंक
पीटीआर की माला रेंज से बाहर निकली यह बाघिन 9 जून को सबसे पहले तब चर्चा में आई थी, जब उसने मेवातपुर गांव में एक किसान को हमला कर मार डाला था। इसके बाद से वह न्यूरिया क्षेत्र के लगभग 15 गांवों में लगातार घूमती रही। 17 जुलाई को दो घंटे के भीतर तीन लोगों पर हमला कर उसने क्षेत्र में दहशत और बढ़ा दी। इन हमलों में मंडरिया गांव की कृष्णा देवी की जान चली गई थी।
शासन की निगरानी में तेज़ हुआ रेस्क्यू अभियान
लगातार हो रहे हमलों के मद्देनज़र मामले ने शासन स्तर तक गंभीरता हासिल कर ली थी। इसके बाद वन विभाग ने बाघिन को पकड़ने के लिए अभियान तेज कर दिया। क्षेत्र में वन अधिकारियों की निगरानी में 20 से अधिक टीमें लगाई गईं, लेकिन सात दिनों तक कोई सफलता नहीं मिल सकी।
डंडिया गांव में दिखाई दी बाघिन, ड्रोन से हुई निगरानी
गुरुवार सुबह डंडिया गांव में एक ग्रामीण ने बाघिन को खेतों में घूमते देखा, जिसके बाद वन संरक्षक बरेली पी.पी. सिंह, फील्ड डायरेक्टर, डीएफओ भरत कुमार डी.के., मनीष सिंह, ट्रेंकुलाइजेशन विशेषज्ञ डॉ. नासिर और डॉ. दक्ष गंगवार सहित वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं। ड्रोन कैमरों की मदद से बाघिन की लोकेशन का पता लगाया गया और गन्ने के खेतों में उसकी घेराबंदी की गई।
गन्ने के खेत में किया ट्रेंकुलाइज, सफल रेस्क्यू
लगातार 11 घंटे तक निगरानी के बाद शाम 6:30 बजे बाघिन को ट्रेंकुलाइज किया गया। बेहोश होने के बाद उसे पिंजरे में डाला गया और फिर रेस्क्यू वाहन के जरिए पीटीआर मुख्यालय लाया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघिन की हालत स्थिर है और चिकित्सकों की एक टीम उसकी निगरानी कर रही है।