मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को आगामी छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत प्रस्ताव को संसद की मंजूरी मिलने के बाद यह फैसला लिया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद फरवरी 2025 में विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत यह शासन 13 फरवरी 2025 को लागू किया गया था, जिसकी वैधता 13 अगस्त तक थी। संसद की स्वीकृति के आधार पर राष्ट्रपति शासन को हर छह माह में आगे बढ़ाया जा सकता है, हालांकि इसकी अधिकतम अवधि तीन साल तक सीमित होती है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह सदन राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी को जारी घोषणा को आगामी छह माह यानी 13 अगस्त 2025 से प्रभावी रूप में जारी रखने की अनुमति प्रदान करता है।
पृष्ठभूमि: क्यों लगाया गया राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में मई 2023 में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच गंभीर जातीय संघर्ष शुरू हो गया था, जो व्यापक हिंसा में तब्दील हो गया। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। राज्य की बिगड़ती स्थिति के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद केंद्र ने विधानसभा को भंग कर 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
सरकार की बहाली की उठी मांग
गृह मंत्री शाह ने पूर्व संसद सत्र में बताया था कि मुख्यमंत्री के त्यागपत्र के बाद कोई भी व्यक्ति सरकार के गठन का दावा लेकर सामने नहीं आया, इसी कारण राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। हालांकि अप्रैल 2025 से एनडीए के विधायक—चाहे वे मुख्यमंत्री के समर्थक हों या विरोधी—अब राज्य में “लोकप्रिय सरकार” की पुनर्बहाली की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति शासन से राज्य में हालात सामान्य होने की दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।