रक्षा मंत्रालय से 2000 करोड़ की डील, BEL के शेयरों में तेजी के आसार

भारत ने रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की है। रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ करीब 2,000 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है, जिसके तहत सेना के लिए अत्याधुनिक एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार की खरीद की जाएगी। यह सौदा “बाय (इंडियन)” श्रेणी के अंतर्गत किया गया है, जिसमें रक्षा उपकरणों को देश में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाता है। इसका उद्देश्य भारत में रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।

यह समझौता 25 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हुआ, जहां मंत्रालय और BEL के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस करार से भारतीय थलसेना की वायु रक्षा प्रणाली को नई तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा, जिससे सैन्य सतर्कता और प्रतिक्रिया क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

स्वदेशी तकनीक से लैस होंगे नए रडार

नवीन रडार सिस्टम में कम से कम 70 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी होगी, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक अहम उपलब्धि मानी जा रही है। ये रडार दुश्मन के लड़ाकू विमानों, अटैक हेलिकॉप्टरों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों की तुरंत पहचान करने में सक्षम होंगे, जिससे समय रहते सटीक कार्रवाई संभव हो सकेगी।

सैन्य आधुनिकीकरण के साथ आर्थिक लाभ भी

रक्षा मंत्रालय ने इस अनुबंध को केवल सैन्य मजबूती नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी बताया है। BEL जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ कई सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) इस परियोजना से जुड़ेंगे। इन रडार्स के निर्माण में छोटे उद्योगों को पुर्जों और कच्चे माल की आपूर्ति करने का अवसर मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और घरेलू उद्योग को गति मिलेगी।

‘मेक इन इंडिया’ को नई गति

केंद्र सरकार लंबे समय से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दे रही है। पहले भी कई बड़े सौदे स्वदेशी हथियारों और तकनीकी उपकरणों की खरीद के लिए किए जा चुके हैं। BEL के साथ हुआ यह नया समझौता उसी नीति की दिशा में एक और मजबूत कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भारतीय सेना की क्षमताएं और अधिक सुदृढ़ होंगी।

निष्कर्ष

यह करार न केवल अत्याधुनिक तकनीक से सैन्य ढांचे को सशक्त बनाएगा, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को भी नई मजबूती देगा। भविष्य में इस तरह की पहलें देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।

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