पटना। बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने विभागीय योजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए कहा कि राज्य में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई अहम बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि छोटे संवेदकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बड़े नहीं, बल्कि छोटे-छोटे पैकेज तैयार किए गए हैं, जिससे स्थानीय ठेकेदारों को कार्य के अधिक अवसर मिल सके।
मंत्री ने बताया कि इस नई प्रणाली से न सिर्फ कार्य प्रक्रिया में तेजी आई है, बल्कि अब तक लगभग 816.68 करोड़ रुपये की बचत भी संभव हुई है।
पथवार निविदा की जगह प्रखंडवार पैकेज नीति
अशोक चौधरी ने बताया कि पूर्व की पथवार निविदा प्रणाली को समाप्त कर अब प्रखंडवार पैकेज नीति लागू की गई है। इससे न सिर्फ निविदा प्रक्रिया अधिक सरल और तेज हुई है, बल्कि कार्य आवंटन में पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है। ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 24,480 किमी लंबाई वाले 14,036 सड़कों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जबकि 2025-26 के लिए अब तक 6,484 किमी की सड़कों की मंजूरी मिल चुकी है।
1038 पैकेजों का हुआ आवंटन
मंत्री ने जानकारी दी कि विभिन्न योजनाओं के तहत अब तक कुल 1,038 पैकेजों का आवंटन किया गया है। इसमें 657 पैकेज मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना, 169 पैकेज मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना (अवशेष) और 212 पैकेज मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के अंतर्गत आवंटित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रखंडवार पैकेज नीति के चलते जहां पहले निविदा प्रक्रिया में आठ महीने तक लगते थे, अब साढ़े तीन महीने में काम आवंटित हो रहा है।
स्थानीय ठेकेदारों की बढ़ी भागीदारी
अशोक चौधरी ने बताया कि नई नीति और नेशनल बिडिंग के कारण अधिकांश जिलों में कार्य स्थानीय पंजीकृत संवेदकों को ही मिला है। राज्य से बाहर की केवल 3-4 कंपनियों को ही अनुबंध प्राप्त हुआ है।
सात साल तक सड़कों का अनुरक्षण अनिवार्य
राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अनुरक्षण नीति को लागू किया है। स्वीकृत सड़कों का सात वर्षों तक रखरखाव अनिवार्य किया गया है, जिसमें पांचवें वर्ष में पुन: कालीकरण किया जाएगा। पहले वर्ष में कुल बजट का 70-75% और शेष राशि अगले सात वर्षों में व्यय की जाएगी।
निविदा प्रक्रिया हुई डिजिटल और पारदर्शी
नए बदलाव के तहत सीएमबीडी (कंबाइंड मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट) प्रणाली लागू की गई है, जिससे निविदाएं पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी हो गई हैं। अब निविदाकर्ताओं को कोई भी हार्ड कॉपी कार्यालय में जमा नहीं करनी पड़ती, जिससे प्रक्रिया निष्पक्ष बनी रहे।
रैपिड रिस्पॉन्स व्हीकल अनिवार्य
सड़क निर्माण कार्य के लिए चयनित ठेकेदारों को अब ‘रैपिड रिस्पॉन्स व्हीकल’ रखना जरूरी होगा ताकि किसी भी सड़क क्षति की सूचना मिलने पर समयबद्ध मरम्मत सुनिश्चित की जा सके।
मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना फिर शुरू
करीब नौ साल बाद मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना को पुनः प्रारंभ किया गया है। अब तक इस योजना के अंतर्गत लगभग 704 पुलों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जबकि 260 पुलों की मंजूरी प्रक्रियाधीन है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों, अस्पतालों, विद्यालयों और बाजारों से जोड़ने में सहूलियत होगी।
प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
इस प्रेस वार्ता के दौरान ग्रामीण कार्य मंत्री के साथ अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव एन. सरवन कुमार, विशेष सचिव उज्ज्वल कुमार सिंह, अभियंता प्रमुख निर्मल कुमार और सुल्तान अहमद सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।