हरियाणा के गुरुग्राम में बीते कुछ दिनों से प्रवासी मजदूरों के दस्तावेज़ों के सत्यापन का अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत अन्य राज्यों से आए मजदूरों को जांच के लिए विशेष रूप से बनाए गए केंद्रों पर ले जाया जा रहा है। हालांकि इस कार्रवाई को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है, क्योंकि कई प्रवासियों का आरोप है कि केवल बांग्ला भाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने अब तक 250 से अधिक मजदूरों को जांच के लिए हिरासत में लिया है, जिनमें अधिकांश पश्चिम बंगाल और असम से आए बांग्ला भाषी मजदूर हैं। उनका कहना है कि उन्हें विशेष रूप से चिन्हित कर पूछताछ की जा रही है, जिससे असुरक्षा और भय का माहौल बन गया है।
बंगाल पुलिस ने प्रवासियों के लिए हेल्पलाइन शुरू की
इस बीच पश्चिम बंगाल पुलिस ने ऐसे प्रवासियों की मदद के लिए एक विशेष वॉट्सएप हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। पुलिस का कहना है कि यदि राज्य का कोई नागरिक देश के किसी अन्य हिस्से में काम करते समय किसी कानूनी या प्रशासनिक समस्या का सामना कर रहा है, तो वह इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकता है।
पुलिस द्वारा साझा किए गए संदेश में कहा गया है कि यदि कोई प्रवासी या उसके परिजन किसी कठिनाई में हैं, तो वे नजदीकी थाने या जिला नियंत्रण कक्ष को सूचित करें। जो लोग वहां पहुंच पाने में असमर्थ हैं, वे हेल्पलाइन नंबर 9147727666 पर वॉट्सएप संदेश भेज सकते हैं। शिकायतकर्ता को नाम, पता व अन्य आवश्यक जानकारी देनी होगी, जिसके आधार पर पश्चिम बंगाल पुलिस संबंधित राज्य की पुलिस से समन्वय कर उचित कार्रवाई करेगी।
गुरुग्राम पुलिस की सफाई
गुरुग्राम पुलिस का कहना है कि यह एक नियमित अभियान है, जिसका उद्देश्य बाहरी मजदूरों की पहचान और सत्यापन सुनिश्चित करना है। इसके लिए शहर में चार अस्थायी होल्डिंग एरिया—बादशाहपुर, सेक्टर 10ए, सेक्टर 40 और मानेसर सेक्टर 1—स्थापित किए गए हैं। यहां लाए गए मजदूरों के दस्तावेजों की जांच की जाती है और सत्यापन होने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है।
हालांकि, इस कार्रवाई के बाद प्रवासी मजदूरों, विशेषकर बांग्ला भाषी समुदाय में भय का माहौल है। कुछ मजदूरों ने तो डर के कारण काम पर जाना भी बंद कर दिया है।