उत्तर प्रदेश विधान परिषद में स्नातक और शिक्षक क्षेत्रों की आगामी रिक्त 11 सीटों के लिए निर्वाचन की तैयारी प्रारंभ हो चुकी है। इन क्षेत्रों की मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य जल्द शुरू होगा और इसके लिए पात्रता की तिथि 1 नवंबर 2025 तय की गई है। आयोग की ओर से मतदाता नामांकन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर सकेंगे। निर्वाचन आयोग जल्द ही इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा।
विधान परिषद में आठ सदस्य स्नातक क्षेत्र और आठ ही शिक्षक क्षेत्र से चुनकर आते हैं। वर्तमान में लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी स्नातक क्षेत्र तथा लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 7 दिसंबर 2026 को समाप्त हो रहा है।
इन क्षेत्रों में जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होगा उनमें अवनीश कुमार सिंह, आशुतोष सिन्हा, डॉ. मान सिंह यादव, डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह ‘गुरुजी’, दिनेश कुमार गोयल, डॉ. हरि सिंह ढिल्ली, उमेश द्विवेदी और ध्रुव कुमार त्रिपाठी शामिल हैं। नियमानुसार, इन निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण वर्ष 2025 में किया जाएगा।
मतदाता बनने की योग्यता और प्रक्रिया
स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदक को अर्हता तिथि से कम से कम तीन वर्ष पूर्व स्नातक या समकक्ष डिग्री भारत के किसी विश्वविद्यालय से प्राप्त करनी चाहिए। वहीं, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता बनने के लिए आवेदक को राज्य के किसी मान्यता प्राप्त माध्यमिक या उच्चतर शिक्षण संस्थान में अर्हता तिथि से पूर्व छह वर्षों की अवधि में न्यूनतम तीन वर्ष तक शिक्षण कार्य में संलग्न होना चाहिए।
रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी मंडलायुक्तों पर
लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी के मंडलायुक्त संबंधित स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी होंगे। वहीं, लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली और गोरखपुर के मंडलायुक्त शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए यह दायित्व संभालेंगे। संबंधित जिलों के जिलाधिकारी सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। इसके अतिरिक्त, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी भी सहायक रजिस्ट्रेशन अधिकारी माने जाएंगे।
मतदेय स्थलों के निर्धारण को लेकर निर्देश
स्नातक और शिक्षक क्षेत्रों के लिए मतदाता सूचियां मतदेय स्थलवार तैयार की जाती हैं। हालांकि, इन स्थलों की अंतिम स्वीकृति निर्वाचन की अधिसूचना के बाद भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दी जाती है। परंपरागत रूप से पूर्व के चुनावों में प्रयोग किए गए मतदान केंद्रों को ही पुनरीक्षण में शामिल कर लिया जाता है, जिससे नए मतदेय स्थलों की आवश्यकता होने पर भी वे नहीं बन पाते।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने मतदेय स्थलों के चयन को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राजनीतिक दलों से चर्चा कर मतदाताओं की संख्या, दूरी और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रों का निर्धारण किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदेय स्थल अधिकतम 16 किलोमीटर की दूरी के भीतर हों ताकि मतदाताओं को लंबी दूरी न तय करनी पड़े।