देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान तेज हो गया है। इसी क्रम में हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में पुलिस ने व्यापक अभियान चलाकर रहवासियों की पहचान और जांच की। इस दौरान कई लोगों को होल्डिंग सेंटरों में भेजा गया। इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
ओवैसी ने उठाए सवाल, कहा- बंगाली मुस्लिमों को किया जा रहा है निशाना
ओवैसी ने आरोप लगाया कि देश के कई हिस्सों में पुलिस द्वारा बंगाली भाषा बोलने वाले मुस्लिम नागरिकों को हिरासत में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है, जबकि उनके भारतीय नागरिक होने के स्पष्ट संकेत हैं। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को कथित रूप से जबरन डिपोर्ट करने की खबरें चिंताजनक हैं।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कमजोर तबके पर सख्ती दिखा रही है। उनके अनुसार, हिरासत में लिए जा रहे लोगों में अधिकतर गरीब, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले, घरेलू कामगार और सफाईकर्मी शामिल हैं। ओवैसी का कहना है कि केवल भाषा के आधार पर किसी को अवैध प्रवासी ठहराकर हिरासत में लेना कानून सम्मत नहीं है।
गृह मंत्रालय के निर्देश पर चल रहा है अभियान
इस कार्रवाई को लेकर आधिकारिक पक्ष की बात करें तो गृह मंत्रालय के निर्देश पर यह अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर रही है और संदिग्ध प्रवासियों को होल्डिंग सेंटरों में भेजा जा रहा है, जहां उनकी वैधता की जांच की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।
ममता बनर्जी ने भी जताई नाराजगी
इस पूरे प्रकरण पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पुलिस पर बंगाली प्रवासी मजदूरों को गलत तरीके से हिरासत में लेने का आरोप लगाया है। ममता ने केंद्र सरकार से इस कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांगा है और इसे अन्यायपूर्ण बताया है।
इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक मोड़ ले लिया है, और गुरुग्राम में चल रही यह कार्रवाई सियासी विवाद का केंद्र बनती जा रही है।