एंबुलेंस घोटाले को लेकर शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत द्वारा लगाए गए आरोपों का महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जिनका खुद का दामन दागदार है, उन्हें दूसरों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “जो लोग शीशे के घरों में रहते हैं, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।”
शिंदे ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका और उनके सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम बेवजह इस मामले से जोड़ा जा रहा है। संजय राउत ने शुक्रवार को दावा किया था कि एंबुलेंस घोटाले से जुड़ी बड़ी राशि श्रीकांत शिंदे के फाउंडेशन तक पहुंचाई गई।
डिप्टी सीएम ने पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग मीठी नदी की गाद सफाई घोटाले, खिचड़ी घोटाले और सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार जैसे मामलों में फंसे हैं, वे नैतिकता की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना (यूबीटी) ने वर्षों तक मुंबई को लूटा है और अब वे उन्हें निशाना बना रहे हैं। “मुंबई की जनता उन्हें भली-भांति जानती है,” उन्होंने जोड़ा।
इस मामले में सुमित ग्रुप एंटरप्राइजेज के उपाध्यक्ष सुमित सालुंके ने भी राउत के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उनकी कंपनी, उनके परिवार और सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड का किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस प्रोजेक्ट से संबंधित जनहित याचिका पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है, और न्यायालय ने निविदा प्रक्रिया को पारदर्शी माना है।
क्या हैं संजय राउत के आरोप?
संजय राउत का आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा एंबुलेंस खरीद के लिए जारी निविदा में अनियमितता हुई है। उन्होंने कहा कि यह ठेका एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के करीबी माने जाने वाले व्यक्ति की कंपनी को मिला। आरोप है कि 800 करोड़ रुपये की परियोजना की वास्तविक लागत महज 100 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे कई गुना बढ़ाकर दर्शाया गया।
राउत ने दावा किया कि इस फर्म के प्रमोटर अमित सालुंके, श्रीकांत शिंदे के फाउंडेशन के लिए वित्तीय सहायता का प्रमुख स्रोत हैं और वही पैसा फाउंडेशन में स्थानांतरित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने शराब घोटाले में नाम आने पर सालुंके को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया है, जो शिंदे पिता-पुत्र के बेहद करीबी माने जाते हैं।