इस साल एमसीएक्स पर सोने ने निवेशकों को शानदार मुनाफा दिया है। अब तक इसके दामों में 30% से अधिक की वृद्धि देखी गई है। वहीं, चांदी ने भी करीब 35% का जबरदस्त रिटर्न दिया है। दूसरी ओर, निफ्टी 50 इंडेक्स में लगभग 4.65% की बढ़त रही, जबकि सेंसेक्स ने करीब 3.75% का रिटर्न दिया। रिलायंस के शेयर जहां 14% से अधिक चढ़े, वहीं एचडीएफसी बैंक के शेयरों में करीब 12.50% की वृद्धि हुई। इसके मुकाबले, सोना और चांदी दोनों ने निवेश के अन्य विकल्पों को पीछे छोड़ दिया।
छह वर्षों में 200% से ज्यादा का रिटर्न
पिछले छह वर्षों में सोने की कीमत में जबरदस्त उछाल आया है। एमसीएक्स पर यह 32,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर करीब 97,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया, यानी 200% से ज्यादा की तेजी।
क्या आगे भी रहेगा सोना चमकदार?
कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भी सोना निवेश का प्रमुख साधन बना रहेगा। वैश्विक आर्थिक मंदी के हालात में भी यह अगले पांच वर्षों में 40% तक रिटर्न दे सकता है, जबकि तेजी की स्थिति में इसमें 125% तक का उछाल संभव है।
कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख संतोष मीणा के अनुसार, भारत में सोना सिर्फ भावनात्मक ही नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अहम है। अब यह वैश्विक केंद्रीय बैंकों के लिए रणनीतिक संपत्ति बन चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के फॉरेक्स भंडार पर लगे प्रतिबंधों ने सोने की अहमियत और बढ़ा दी है। अमेरिका का बढ़ता कर्ज और डॉलर पर घटता भरोसा भी सोने की मांग को मजबूत बना रहा है।
महामारी से लेकर भू-राजनीतिक तनाव तक
एसएस वेल्थस्ट्रीट की संस्थापक सुगंधा सचदेवा बताती हैं कि 2019 से 2025 के बीच सोने ने करीब 200% का रिटर्न दिया। इस दौरान कोविड-19, आसान मौद्रिक नीतियां, वैश्विक अनिश्चितता, और यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया।
इन घटनाओं ने बढ़ाया सोने का आकर्षण:
- रूस-यूक्रेन युद्ध (2022)
- अमेरिकी बैंकिंग संकट (SVB, क्रेडिट सुइस – 2023)
- पश्चिम एशिया में तनाव (2023)
- बढ़ता अमेरिकी ट्रेड वॉर (2025)
- सेंट्रल बैंकों द्वारा रिकॉर्ड स्तर पर सोने की खरीद
- डॉलर पर निर्भरता कम करने की वैश्विक प्रवृत्ति
इन कारणों से 2025 में सोना 1,00,178 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
डॉलर की घटती पकड़, सोने की बढ़ती चमक
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने भंडार में डॉलर की जगह अब सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। साल 2001 में जहां डॉलर की हिस्सेदारी 73% थी, अब यह घटकर 58% रह गई है। वहीं, सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 20% तक पहुंच गई है। मल्टी-करेंसी सिस्टम और चीन जैसे देशों के बीमा क्षेत्र में भी सोना अब निवेश का अहम हिस्सा बन चुका है।
क्या अभी निवेश का सही वक्त है?
सुगंधा सचदेवा के अनुसार, सोना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन और वैल्यू स्टोर के रूप में लंबे समय तक अहम बना रहेगा। निवेशकों को धीरे-धीरे मूल्य में गिरावट के दौरान खरीदारी करनी चाहिए और 5 वर्षों की रणनीति बनाकर निवेश करना चाहिए।
2025-2030 के लिए अनुमानित कीमत
सुगंधा का मानना है कि सोने की कीमत अगले पांच साल में 1,35,000 से 1,40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है। वहीं, संतोष मीणा के मुताबिक, मौजूदा रुझानों के जारी रहने पर यह आंकड़ा 2,25,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। उनका कहना है कि जियोपॉलिटिकल संकट और केंद्रीय बैंकों की बढ़ती खरीदारी इस तेजी को बनाए रखेगी।