लाडकी बहिन योजना में 14,000 पुरुषों को मिला लाभ, सुप्रिया सुले ने की सीबीआई जांच की मांग

एनसीपी (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि इस महिला केंद्रित योजना के तहत अब तक करीब 14,000 पुरुषों को लाभ मिला है, जिससे राज्य को करीब 21 करोड़ रुपये की चपत लगी है। उन्होंने मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन अपात्र पुरुषों को लाभ किसने और कैसे दिया।

पुणे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, “सरकार मामूली आरोपों में भी सीबीआई या ईडी जांच कराती है, तो फिर यहां ठोस तथ्य होने के बावजूद अब तक जांच क्यों नहीं हुई? यह पता लगाया जाना चाहिए कि इन लोगों का नाम लाभार्थियों की सूची में किस प्रक्रिया से जुड़ा।”

अजित पवार की प्रतिक्रिया: दोषियों से वसूली होगी

इस मामले पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सफाई देते हुए कहा कि अगर किसी भी पुरुष ने इस योजना का अनुचित रूप से लाभ लिया है, तो उनसे पूरी राशि वसूल की जाएगी। उन्होंने कहा कि “यह योजना केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए है। किसी पुरुष को लाभार्थी बनाना पूरी तरह गलत है।”

पवार ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में महिलाएं, जो पहले से सरकारी नौकरी में थीं, वे भी योजना से पैसा लेती पाई गईं। ऐसे सभी मामलों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

26 लाख से अधिक अपात्र लाभार्थी, कई मामलों में दो से अधिक लाभ

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न विभागों से समन्वय कर लाभार्थियों की पात्रता की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि करीब 26.34 लाख लाभार्थी योजना के मानदंडों पर खरे नहीं उतरते। इनमें से कुछ लोग पहले से अन्य योजनाओं का लाभ ले रहे थे, कुछ परिवारों में एक से ज्यादा लाभार्थी थे, और कई पुरुषों ने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर योजना में नाम दर्ज कराया।

उन्होंने कहा कि इन सभी अपात्र लाभार्थियों का भुगतान जून 2025 से अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। सभी जिलों के कलेक्टरों को इन मामलों की दोबारा जांच का आदेश दिया गया है, और जो लाभार्थी पात्र पाए जाएंगे, उन्हें फिर से लाभ देना शुरू किया जाएगा।

योजना की कमजोर निगरानी पर उठे सवाल

अगस्त 2024 में शुरू हुई इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर माह ₹1500 की सहायता राशि दी जाती है। योजना का उद्देश्य कमजोर वर्ग की महिलाओं को आर्थिक सहारा देना है। लेकिन ऑडिट में सामने आया कि 14,298 पुरुषों ने फर्जी आधार या अन्य दस्तावेजों के जरिए खुद को महिला दिखाकर योजना का लाभ उठाया। इससे सरकारी खजाने को करीब ₹21.44 करोड़ का नुकसान हुआ है।

यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब योजना की गहन जांच की गई। इस खुलासे ने सरकारी निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह पूछा जा रहा है कि आवेदन सत्यापन की प्रक्रिया इतनी लचर कैसे रही और प्रशासनिक स्तर पर इस गड़बड़ी को समय रहते क्यों नहीं पकड़ा गया?

गौरतलब है कि इससे पहले भी महाराष्ट्र में कुछ कल्याणकारी योजनाओं जैसे सैनिटरी नैपकिन सब्सिडी और शिव भोजन थाली में अपात्र लोगों द्वारा लाभ उठाने के मामले सामने आ चुके हैं।

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