भारत में इस वर्ष मानसून ने सामान्य से अधिक सक्रियता दिखाई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से अब तक देश में औसतन 447.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य 418.9 मिमी के मुकाबले करीब 7 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, यह वर्षा देश के सभी हिस्सों में समान रूप से नहीं हुई।
कई राज्यों में बारिश का रिकॉर्ड टूटा
आईएमडी के मुताबिक, राजस्थान, लद्दाख, नागालैंड, मणिपुर और सिक्किम जैसे राज्यों में ‘बहुत अधिक वर्षा’ दर्ज की गई है। राजस्थान में जहां औसत 200.4 मिमी बारिश होती है, इस साल 384.7 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य से 92% अधिक है। लद्दाख में सामान्य 10.7 मिमी के मुकाबले अब तक 30 मिमी वर्षा हुई है, जो 181% की वृद्धि है। सिक्किम में 598.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 78% अधिक है। नागालैंड और मणिपुर में भी सामान्य के आसपास अच्छी बारिश हुई है।
कई राज्यों में ‘अधिक’ वर्षा दर्ज
मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, असम और केंद्र शासित प्रदेश दादरा व नगर हवेली एवं दमन और दीव में भी सामान्य से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मसलन, मध्य प्रदेश में अब तक 645.8 मिमी वर्षा हुई है, जबकि सामान्य औसत 418.4 मिमी है। गुजरात में 463.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो औसत से 35% अधिक है।
कहीं सामान्य, कहीं कम बारिश
उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में मानसून की बारिश सामान्य रही है, जो ±19% के भीतर है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, महाराष्ट्र और लक्षद्वीप जैसे राज्यों में बारिश औसत से 20% से 59% तक कम रही। उदाहरण के तौर पर, बिहार में अब तक 272 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य 474.2 मिमी मानी जाती है।
आईएमडी का पूर्वानुमान और मानसून का महत्व
मौसम विभाग ने पूर्व में अनुमान जताया था कि इस साल भारत में मानसून सामान्य से थोड़ा बेहतर रह सकता है और दीर्घकालिक औसत (87 सेमी) का करीब 106% वर्षा संभव है। आमतौर पर 96 से 104% के बीच वर्षा को ‘सामान्य’ श्रेणी में रखा जाता है।
आईएमडी ने यह भी कहा था कि देश के अधिकतर हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है, हालांकि कुछ इलाकों — जैसे पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु — में बारिश कम हो सकती है।
गौरतलब है कि भारत में मानसून न केवल कृषि के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की करीब 42% आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है और कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में 18.2% योगदान है।